कानपुर। सपा परिवार में चल रहे घमासान को कुछ हद तक चुनाव आयोग ने स्थिर कर दिया और अखिलेश यादव को कमान मिल गई। लेकिन कानपुर में चुनाव की तैयारी कर रहे बाहुबली अतीक अहमद व विधायक शिवकुमार बेरिया सहित कई संभावित दावेदार हलकान हो गए हैं।
समाजवादी परिवार की साइकिल का हैंडिल अब टीपू यानि अखिलेश यादव के हाथों पर आ गया जिससे अखिलेश गुट अपनी खुशी इजहार करने के लिए मिष्ठान वितरण कर रहे है। पार्टी कार्यालयों में ऐसा माहौल बन गया कि मानो वह 2017 चुनाव फतह कर लिया हो।
यहां तक कि उन सीटों पर इस गुट की नजर गड़ गई है जहां पर अपने लोग संभावित उम्मीदवार नहीं है। पर वहीं दूसरी तरफ नेता जी व शिवपाल के करीबी पूरी तरह से बैकफुट पर हैं। जिनमें इलाहाबाद की राजनीति में दो दशक तक राज करने वाले बाहुबली अतीक अहमद प्रमुख हैं जो मुलायम गुट से यहां की कैंट सीट से प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं।
इसी तरह रसूलाबाद विधायक व पूर्व मंत्री शिवकुमार बेरिया, बिठूर विधायक मुनीन्द्र शुक्ला, महाराजपुर प्रत्याशी अरूणा तोमर आदि है। हालांकि बदले हालात में इनके सुर बदल गए और टिकट की जुगत में लग गए हैं।
बताया जा रहा है कि अखिलेश गुट किसी भी हालत में इन लोगों को प्रत्याशी के रूप में नहीं देखना चाहता। जिससे यह तय है कि डॉन व बेरिया कितने भी हलकान हो पर मौका हाथ से निकल चुका है।
सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल जो कानपुर के ही रहने वाले है उनकी इन नेताओं से कभी नजदीकी नहीं रही है। निर्दलीय लड़ेगें अतीक चुनाव अतीक अहमद कैंट विधानसभा सीट से मुलायम गुट से प्रत्याशी घोषित होने के बाद क्षेत्र में लगातार संपर्क अभियान बढ़ाए हुए है।
लेकिन जब उनसे पूछा गया कि पार्टी अध्यक्ष तो अखिलेश यादव हो गए और उनकी सूची में आपका नाम नहीं था। तो कहा कि मैं खूंटा गाड़ लिया हॅूं और कैंट से ही चुनाव लडूंगा। मैं नेता जी का कार्यकर्ता हूं और उन्होंने हमें चुनाव लड़ने का आशीर्वाद दे दिया है।
उन्होंने साफ तो नहीं कहा पर जिस अंदाज में बात की उससे साफ है कि निर्दलीय चुनाव लड़ने को भी तैयार हैं। अरुणा कोरी की हो सकती वापसी साइकिल का सिंबल अखिलेश यादव को मिलते ही यह चर्चा शुरू हो गई है कि बिल्हौर से घोषित प्रत्याशी रसूलाबाद विधायक शिवकुमार बेरिया का टिकट कट सकता है।
इसके साथ यह भी कहा जा रहा है कि बिल्हौर से ही विधायक व मंत्री अरुणा कोरी को यहां से फिर टिकट मिलेगी। बताते चलें कि यह दोनो सीटे सुरक्षित है और अरूणा को अखिलेश गुट का कहा जाता है तो बेरिया को शिवपाल गुट का।