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महानवमीं : सिद्धी दात्री सदा ही नमन - Sabguru News
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महानवमीं : सिद्धी दात्री सदा ही नमन

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महानवमीं : सिद्धी दात्री सदा ही नमन
maha navami 2017 significance and importance of this auspicious day
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सबगुरु न्यूज। मातृ शक्ति की उपासना के लिए रात्रियां प्रधान मानी गई है। ऐसी कहा जाता हैं कि दिन के समय शिव पुरूष रूप में व रात्रि के समय शक्ति प्रकृति के रूप में होतीं हैं। शिव का अस्तित्व उसकी शक्ति पर आधारित है।

ब्रहमा विष्णु व महेश तीनों ही शक्तियों का संक्षिप्त रूप भगवती दुर्गा हैं आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक शारदीय नवरात्रा तथा समापन पर विजया दशमी होती है। यह दुर्गा नवरात्रि कही जाती है।

शक्ति के मूल में शांति आराधना है वह मनुष्य को बुद्धि, धर्म, यश, बल और धन धान्य अर्थ व मोक्ष प्रदान करती है।

नवरात्र में शक्ति का संदेश होता है कि वह नौ चरणों में उत्पति व पूर्ण विकास की पराकाष्ठा पर व्यक्ति को ले जाकर छोड़ देतीं हैं, जहां मानव सुखी और समृद्ध हो कर मोक्ष को जीते जी पा लेता। मानवी तृष्णा का अंत इनइ नौ चरणों में हो जाता है और वह जीते जी मोक्ष की स्थिति है।

ऋषि मुनियों ने धार्मिक आस्था व उपासना के माध्यम से नौ दिन तक विशेष संयम मे रह कर प्रकृति देवी की उपासना को बताया जो संकेत देती है कि हे मानव आने वाली तेरी कुल आयु के नौ चरणों में तू पूर्णता को पा सकता यदि स्वयं को उम्र के अनुसार संतुलित रखें।

प्रथम शैल पुत्री जो पर्वतों पर रहकर अपने जीवन का प्रारम्भ कठोर श्रम से करती हुई प्रकृति को देख समझ कर सब कुछ सीखती हैं और दूसरे चरण मे सांसारिक जीवन से दूर रह त्याग तप व कठोर श्रम से योग्यता को धारण कर ब्रहम चारिणी तथा चन्द्र की तरह सभी को ज्ञान बांटने के के लिए यशस्वी बन चन्द्र घंटा, फिर फिर प्राणियों के कल्याण के लिए साधनों को उतपन्न कर कूषमाडां तथा पांचवे चरण में मां की तरह त्याग की मूरत बन सभी को हर तरह से पालती है और स्कंदमाता कहलाती हैं।

छठे चरण में जन सामान्य को अभय दान व विघनों से बचाने वाली देवी की तरह कात्यायनी तथा सातवें चरण में मानव भारी बैर विरोधी को समाप्त कर सभी को सुखी और समृद्ध बना कर काल रात्रि तथा आठवें चरण में सभी की समस्या सामाजिक और आर्थिक का अंत कर नए मार्ग खोलती है।

यही मजबूत स्थिति महागौरी शक्ति के रूप में प्राणी पा लेता है और अंत से दूसरों को नव सृष्टि में प्रवेश का ज्ञान दे व्यक्ति सभी से मुक्त होकर परम सिद्ध हो जाता है और अपने आशीर्वाद से सभी को सुखी और समृद्ध बना मोक्ष को पा लेता है यही एक अवस्था व्यक्ति की सिद्धी दात्री के रूप मे हो जाती हैं।

शक्ति के मूल में यही नौ चरणों की व्यवस्था मानव जीवन का सुखी और समृद्ध बनातीं है। नवरात्रा में नौ दिन की कथाओं का यही सार है और मूल मंत्र कन्या पूजन अर्थात घर में कन्या के साथ देवी की तरह व्यवहार सदा करे। तथा सभी पुरूष का आधार स्त्री ही है और वह सभी समस्याओं का अंत करने में सक्षम हैं इसलिए सदा महिलाओं की शक्ति मान आदर पूर्वक रखना चाहिए।

संत जन कहते हैं कि हे मानव यदि कन्या ओर स्त्रियों का जहां सदा सम्मान रहेगा वहा धर्म अर्थ मोक्ष सभी सहज में मिल जाएंगे अन्यथा तेरा नौ दिन पूजा उपासना करना एक बेकार व अनावश्यक श्रम ही रह जाएगा।

सौजन्य : भंवरलाल