सूरत। व्हाट्सएप का इस्तेमाल अब जानकारियां शेयर करने के साथ ही शिकायतों को मंच देने का माध्यम भी बन गया है। मनपा की व्हाट्सएप सेवा पर शिकायतें दर्ज कराने की मुहिम रंग लाने लगी है। एक महीने में मनपा को व्हाट्सएप पर करीब 22 हजार मैसेज एवं 25 सौ शिकायतें मिली हैं।…
शहर में बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी परेशानियों से निजात दिलाने के लिए मनपा ने ऑन लाइन एवं फोन के जरिए शिकायत दर्ज कराने की व्यवस्था के बाद पिछले दिनों व्हाट्सएप न बर भी जारी किया था। 19 सित बर, 2014 को जारी व्हाट्सएप नंबर 7623838000 पर लोग आसपास की घटनाओं और टूटी सड़क, जल जमाव आदि की तस्वीरें व्हाट्सएप भेज रहे हैं। मनपा के विभिन्न प्रोजेक्ट पर सुझाव भी आ रहे हैं।
सिस्टम कर रहा अपलोड
व्हाट्स एप पर मिलने वाले मैसेज मनपा के सिस्टम में अपलोड होते हैं। शिकायतों को स्क्रूटनाइज कर एसएमएस के जरिए शिकायतकर्ता के साथ ही संबंधित विभाग के अधिकारी को भेजा जा रहा है। जिसके बाद विभागीय अधिकारी शिकायत पर कार्रवाई भी कर रहे हैं।
इतनी शिकायतें
पिछले एक महीने के दौरान मनपा प्रशासन को व्हाट्स एप के जरिए 22 हजार से अधिक मैसेज मिले। इनकी स्क्रूटनी के बाद करीब 25 सौ क प्लेन दर्ज कर इन्हें दूर करने की प्रक्रिया शुरू की गई। करीब 78 फीसदी मामलों का हल कराया गया। इनमें स्ट्रीट लाइट से संबंधित शिकायतों की सं या 468, ड्रेनेज की 417, साफ-सफाई की 387 और सड़क रिपेयरिंग की 354 थीं।
जमीन रेलवे की, मालिक महानगर पालिका !
पश्चिम रेलवे ने जिस जमीन को अपना बताते हुए एक्सपेंशन के लिए झोपड़ पट्टियां हटाने का नोटिस जारी किया है, सूरत महानगर पालिका के दस्तावेजों में वह जमीन उसकी अपनी है। इस पर बने झोपड़ों में रह रहे लोग जो गृहकर जमा करा रहे हैं, उन पर जमीन मालिक के रूप में सूरत महानगर पालिका का नाम दर्ज है।
पश्चिम रेलवे प्रशासन मु बई-दिल्ली रूट पर डेडिकेटिड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) पर काम शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इसे देखते हुए अधिकारियों ने पिछले दिनों रेल पटरी किनारे बसी झोपड़पट्टियों को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था।
रेलवे प्रशासन का कहना है कि विस्तार योजनाओं के लिए रेलवे ने यह जमीन अपने पास रखी थी। उधर, इन जमीनों पर बसी झोपड़पट्टियों के लिए मनपा ने जो कर बिल जारी किए हैं, उनमें जमीन मालिक की जगह सूरत महानगर पालिका का नाम दर्ज है। इसे लापरवाही कहें या फिर जानकारी का अभाव कि पश्चिम रेलवे ने भी इस पर कभी ऐतराज नहीं दर्ज कराया। हालांकि मनपा प्रशासन इसे तकनीकी चूक कहकर पल्ला झाड़ रहा है।
मनपा आयुक्त मिलिंद तोरवडे ने इस मामले में साफ किया है कि रेलवे पटरी किनारे की जमीन हमारी नहीं है। रेलवे से नोटिस जारी होने के बाद यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए फिलहाल तथ्यों में बदलाव नहीं किया जा सकता। वहां से निर्णय आने के बाद रिकॉर्ड में जरूरी संशोधन किया जाएगा।