अजमेरं। महन्त रामदास उदासी गुरू बाबा विशम्भर देवदासी का गुरुवार को देवलोक गमन हो गया। उनके निधन का समाचार मिलते ही साधू समाज व श्रृद्धालुओं में शोक छा गया। उनके अंतिम दर्शन के लिए अजयनगर आश्रम पर एकत्रित हो श्रृद्धासुमन अर्पित किए। चौथे की रस्म रविवार 27 नवम्बर को शाम 4 बजे से स्वामी ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम में होगी।
महामण्डलेश्वर श्रीमहंत हंसराम उदासीन भीलवाडा वालों के सान्निध्य में उनके परिवार जनों के साथ उनकी अंतिम यात्रा आश्रम से प्रारम्भ होकर अजयनगर, शहीद अविनाश महेश्वरी विद्यालय, भगवानगंज, संत कवंरराम विद्यालय, राजेन्द्र स्कूल होते हुए महर्षि दयानन्द सरस्वती शमशान स्थल पहुंची। सभी संत महात्माओं व श्रृद्धालुओं के उपस्थिति में उनके सुपुत्रों ने उन्हें मुखागिनी दी।
पूरे मार्ग पर श्रृद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर श्रृद्धांजलि दी। महामण्डलेश्वर हंसराम ने इस अवसर पर श्रीचन्द्र चालीसा का पाठ के पश्चात् अरदास करते हुए कहा कि महंत रामदास सदैव सेवा व स्मरण के प्रेरणास्त्रोत रहे हैं उनसे जीवन प्रेरणा लेकर श्रृद्धालुओं को पथचिन्ह पर चलना चाहिए।
उनके भ्राता स्वामी ईसरदास सहित ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वरूपदास उदासीन, गौतम सांई, श्री शांतेश्वर उदासीन आश्रम पुष्कर के महंत हनुमानराम, भीलवाडा के स्वामी गणेशदास, बालकधाम किशनगढ से भाई जनक, स्वामी बंसतराम सेवा ट्रस्ट के ओमप्रकाश, स्वामी आत्मदास, भाई फतनदास, दादा नारायणदास, श्रीराम दरबार की दादी मोहिनी देवी सहित अनेक संतो के साथ भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी, प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थाणी, सिन्धी समाज महासमिति के अध्यक्ष कवंलप्रकाश किशनानी, पार्षद मोहन लालवाणी, पूर्व पार्षद खेमचन्द नारवाणी, अजयनगर सिन्धी समाज के अध्यक्ष भगवान कलवाणी, मुखी कन्हैयालाल, डॉ.प्रकाश नारवाणी, शंकर सबनाणी, भागचन्द व लक्षमदास दौलताणी, घनश्यामदास, कन्नू खानचंदाणी, मनीष प्रकाश, प्रकाश मूलचंदाणी सहित अनेक श्रृद्धालु उपस्थित थे।