जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कल्याणसिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप ने विषम परिस्थितियों में भी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। इतिहास में हमें अबकर महान पढ़ाया जाता है, जबकि महान तो महाराणा प्रताप थे।
अबकर केवल मुगल बादशाह था, उसने देश के लिए कभी संघर्ष नहीं किया। उन्होंने कहा कि जो देश की धरती में पला- बढ़ा हो, जिसने देश की रक्षा की हो वो ही महान हो सकता है।
अकबर हमारी प्रेरणा स्रोत नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम की पुस्तकों में महाराणा प्रताप को महान बताते हुए उनकी जीवनी को शामिल किया जाना चाहिए।
राज्यपाल रविवार को शिक्षा विभाग की ओर आयोजित राज्य स्तरीय भामाशाह सम्मान समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने अपनी इच्छा जाहिर करते हुए सरकार से मांग की है कि जयपुर में कहीं भी महाराणा प्रताप की प्रतिमा नहीं लगी है। इसलिए सरकार को महारणा प्रताप और भामाशाह की भव्य प्रतिमाएं लगानी चाहिए, ताकि छात्रों को उनके जीवन से प्रेरणा मिल सके।
उन्होंने कहा कि देश की सर्वांगीण उन्नति के लिए शिक्षा अनिवार्य है। सरकार की ओर से आठवीं बोर्ड किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इससे बच्चों की नींव मजबूत होगी। प्राथमिक शिक्षा बच्चों को संस्कार देने वाली होती है, यहां से मिले संस्कार बच्चों में जीवन पर्यंत रहते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के प्रति समाज में जागरूकता आए। शिक्षा रोजगार परक हो। अध्ययन व अर्जन साथ चले, इससे बेरोजगारी का अंत होगा।
यूपी में आज भी लोग कहते हैं हम कल्याणसिंह के जमाने के इंटरमीडिएट है
राज्यपाल ने बढ़ती नकल प्रवृति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इसे रोकना होगा, यह समाज के लिए घातक है। जो नकल करा रहे हैं वे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। नकल से सर्टिफिकेट मिल सकता है, अकल नहीं आती।
उन्होंने कहा कि जब मैं जब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री था तब नकल को रोकने के लिए कानून बना दिया था। उस साल का रिजल्ट केवल 13 प्रतिशत रहा। लेकिन उस दौर के लोग आज भी नजीर देते हैं कि हम कल्याणसिंह के जमाने के इंटरमीडिएट है।
राज्यपाल ने भामाशाह सम्मान समारोह कोष में अपना एक माह का वेतन देने की घोषणा भी की। उन्होंने राज्य के सभी भामाशाहों और प्रेरकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसा कार्यक्रम में अपने जीवन में पहली बार देख रहा हूं।
राज्यपाल ने राजस्थान विश्वविद्यालय में 25 सालों से लंबित डिग्रीयों का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि 7 जुलाई को विवि के दीक्षांत समारोह में बीस लाख डिग्रीयां जारी होगी। हो सकता है यह विश्व में पहली मिसाल हो।