मुंबई। राज्य के महाधिवक्ता श्रीहरी अणे ने मंगलवार को सुबह 10 बजे राजभवन में जाकर अपने पद का इस्तीफा दिया। इसके बाद अणे ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल अथवा मुख्यमंत्री के कहने पर नहीं वरन स्वत:स्फूर्त राज्य के हित को ध्यान में रख कर दिया है। अणे के इस्तीफे की जानकारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा को दी, जिससे सभागृह का कामकाज मंगलवार को पूर्ववत हो सका था।
मिली जानकारी के अनुसार महाधिवक्ता हरी अणे ने एक कार्यक्रम में अलग मराठवाड़ा प्रदेश बनाए जाने संबंधी बयान दिया था। इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ ही शिवसेना सदस्य भी आक्रामक हो उठे थे और सदन का कामकाज सोमवार को चलने नहीं दिया था। इस मामले पर राज्यसरकार की ओर से राजस्व मंत्री ने सदन में कहा था कि सरकार अणे से सहमत नहीं है। इस तरह इस मामले की व्यापकता को देखते हुए खुद अणे ने मंगलवार को अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौप दिया था।
अणे ने बताया कि इस मामले में उन्होंने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा था वरन उनसे पहले के वक्ताओं के भाषण का उत्तर दिया था। अणे ने यह भी कहा कि वह राज्य सरकार के वकील नहीं थे। राज्य का महाधिवक्ता होने के नाते वह राज्य के हर नागरिक के वकील थे और उन्होंने आम जनता की आवाज मात्र कार्यक्रम में व्यक्त किया था।
उन्होंने यह भी स्पष्ठ किया कि मुख्यमंत्री ने उनसे कहा था कि यह सब मामला राजनीतिक है और उन्हे इस्तीफा देने की जरुरत नहीं है, सब कुछ हम सभाल लेंगे। लेकिन बजट सत्र के दरम्यान जिस तरह से सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर सदन के कामकाज को रोक रखा था, उससे बजट पास नही हो सकता था और उसका असर आम जनता पर पडऩे वाला था, इसलिए आम जनता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया है।
हालांकि अलग मराठवाड़ा संबंधी बयान के विरोध में मंगलवार को भी विपक्ष व शिवसेना सदस्य आक्रामक भूमिका अपनाए हुए थे। सदन का कामकाज शुरु होने से पहले शिवसेना सदस्य विधानभवन की सीढिय़ों पर बैठकर अणे के इस्तीफे की मांग कर रहे थे और सरकार विरोधी नारे भी लगा रहे थे। शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक ने कहा था कि जब तक अणे इस्तीफा नहीं देते, तब तक शिवसेना सदन के कामकाज में सहभागी नहीं होगी।