नई दिल्ली/मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी के नेता नाना पटोले ने गुजरात चुनाव से ठीक पहले पार्टी से और लोकसभा सदस्यता से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया। इसे भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
पटोले ने इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि वह अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहते। भंडारा-गोंदिया से सांसद पटोले ने नोटबंदी, जीएसटी और किसानों के प्रति मोदी सरकार के रवैए की खुलकर आलोचना की।
पटोले ने कहा कि उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के कार्यालय को और भाजपा नेतृत्व को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। महाजन को भेजे अपने संक्षिप्त पत्र में पटोले ने लिखा है कि आदरणीय मैडम, मैं सदन की सदस्यता से इस्तीफा देता हूं, जो आज से प्रभावी होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में पद संभालने के बाद भाजपा और लोकसभा से इस्तीफा देने वाले पटोले पहले सांसद हैं। इससे पहले उन्होंने एक जनसभा में यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि प्रधानमंत्री को सवाल पूछा जाना पसंद नहीं है और वह अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहते।
शुक्रवार को उन्होंने कहा कि वह पार्टी इसलिए छोड़ रहे हैं, क्योंकि वह काफी दुखी हैं और पार्टी द्वारा खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। पटोले ने यह कदम गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान (शनिवार) से ठीक एक दिन पहले उठाया है।
लोकसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपने के तत्काल बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि जिस वजह से मैं पार्टी (भाजपा) में शामिल हुआ था, वह झूठा साबित हुआ। लेकिन अब मैं (इस्तीफा देने के बाद) अपने भीतर की बैचेनी से मुक्त हो गया हूं।
उन्होंने कहा कि यह सरकार लोगों को आश्वासन देकर, विशेषकर किसानों को आश्वासन देकर सत्ता में आई थी। इसने आश्वासन दिया था कि (एमएस) स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करेगी, ताकि किसानों की आय दोगुनी हो। लेकिन इसने पहला काम यह किया कि सर्वोच्च न्यायालय को कहा कि वे उन सिफारिशों को लागू करने नहीं जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले केवल एक साल में देश में किसानों की आत्महत्या के मामलों में 43 फीसदी की वृद्धि हुई और किसान समुदाय के लिए एक भी कल्याणकारी उपाय को लागू नहीं किया गया।
पटोले ने कहा कि बेरोजगारी की स्थिति बहुत गंभीर है। सरकार ने युवाओं को आश्वासन दिया था कि हर साल दो करोड़ नई नौकरियां पैदा की जाएंगी, लेकिन नई नौकरियों को पैदा करने के लिए एक भी कदम नहीं उठाया गया, जबकि सरकारी नौकरियों में भी 10 फीसदी की कटौती कर दी गई।
उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति खतरनाक स्तर पर है। पिछले साल की गई नोटबंदी के बाद करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं और यहां तक कि निजी बैंक भी लोगों को नौकरी से निकाल रहे हैं। इसी के साथ वस्तु एवं सेवा कर ने लगभग छोटे उद्यमों को मार डाला है।
पटोले ने कहा कि अगर लोग अपने खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं रख पाते हैं, तो बैंक शुल्क वसूलता है, जो गरीब लोगों के खातों से काटे जाते हैं। वे गैस सब्सिडी को भी बख्शते नहीं हैं..।
उन्होंने कहा कि यह लोगों की लड़ाई होने जा रही है। मैं इस सरकार और दल का हिस्सा नहीं हूं। मैं लोगों के साथ मिलकर लड़ाई लड़ूंगा, हम एक नई सरकार लेकर आएंगे।
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने इस मामले को लोकसभा में क्यों नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि उनके जैसे लोगों को लोकसभा में बोलने की अनुमति नहीं दी जाती। पार्टी यह फैसला करती है कि (लोकसभा में) कौन बोलेगा।
किसान समुदाय की शिकायतों को लेकर विदर्भ के नेता ने कहा कि उन्होंने इस मामले को लेकर कई बार मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
पटोले ने कहा कि उन्होंने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह किस पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन वह ‘किसी समान विचारधारा वाले राजनीतिक दल’ में शामिल होने पर विचार करेंगे। वहीं, मुंबई में फडणवीस ने कहा कि “वह सही वक्त पर इस पर कोई टिप्पणी करेंगे।