मुंबई। राज्य में शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े द्वारा बनाई गई नई शिक्षा नीति को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस ने नकार दिया है और एक तरह से उसे कचरे की टोकरी में फेंक दिया है।
फडऩवीस ने इसे पूरी तरह से रद्द करने का निर्देश देते हुए इस पर नए सिरे से काम शुरू करने का निर्देश अधिकारियों के दिया है मुख्यमंत्री के इस निर्णय से शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े को जोर का झटका लगा है।
मिली जानकारी के अनुसार शिक्षक लोक भारती के अध्यक्ष कपिल पाटिल ने नई शिक्षा नीति की शिकायत मुख्यमंत्री से किया था। कपिल पाटील ने कहा कि नई नीति में कई मुद्दे आम जनता के हित में नहीं थे, इसलिए उन्होंने इसका विरोध मुख्यमंत्री से किया था।
इसलिए मुख्यमंत्री ने उन मुद्दों को समझते हुए इस शिक्षा नीति को रद्द कर दिया है। अब दूसरी नई शिक्षा नीति पर विचार किया जायेगा। पाटिल ने कहा की फडऩवीस के शब्द थे उन्होंने शिक्षा मंत्री द्वारा बनाई गई शिक्षा नीति को बेकार बताया है।
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षामंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि नई शिक्षा नीति उनकी खुद की नहीं थी। उन्होंने इस बारे में आम जनता से विचार मंगवाए थे और आम जनता के विचारों से नई शिक्षा नीति बनाई गई थी।
मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार प्रदेश में नई शिक्षा नीति लागू करना चाहती थी इसके लिए शिक्षा मंत्री ने नई नीति बनाने का काम शुरू किया था।
नई शिक्षा नीति में जनता की राय शामिल करने के लिए तावड़े ने ऑनलाइन लोगों से सुझाव मंगवाए थे और फिर उसे तैयार कर मुख्यमंत्री को नई शिक्षा नीति सौप दिया था।
बतादें कि नई शिक्षा नीति में तीन मुद्दों का शिक्षक संगठन शिक्षक भारती ने विरोध किया। जिसमे एक तो राज्य के एससी, एसटी ,ओबीसी, विकलांग आदि छात्रों को मिलने वाली सुविधा हटाने का प्रावधान, दूसरा स्कूलों को 6 नहीं बल्कि 8 घंटे तक चलाने का प्रावधान, तीसरा केजी में अंग्रेजी भाषा न पढ़ाने पर प्रतिबन्ध लगाना था।
बताया जा रहा है कि शिक्षा मंत्री ने शिक्षक संगठनों के सुझाव को दरकिनार कर नई शिक्षा नीति को अंतिम रुप दे दिए थे, लेकिन मुख्यमंत्री ने तमाम पहलुओ पर विचार करने के बाद नई शिक्षा नीति को रद्द कर दिया है।