मुंबई। नोटबंदी के बाद देश में नोटों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने लंदन की डेलारु कंपनी को भारतीय नोट छापने का काम देने का निर्णय लिया है।
इतना ही नहीं इस कंपनी को शेंद्रा स्थित एमआईडीसी इलाके में 10 एकड़ जमीन दिए जाने का भी निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है।
शिवसेना सांसद हेमंत गोडसे ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। गोडसे के साथ ही नासिक सिक्युरिटी प्रिटिंग प्रेस के कर्मचारियों ने भी सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है।
मिली जानकारी के अनुसार डे लारु कंपनी का मुख्यालय लंदन में स्थित है। यह कंपनी 20 देशों की मुद्रा छापती है।
इससे पहले भी इस कंपनी को भारतीय मुद्रा छपवाने का काम दिया गया था। लेकिन उस समय किसी गड़बड़ी की वजह से इस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था।
शिवसेना सांसद हेमंत गोडसे ने कहा कि ब्लैक लिस्टेड कंपनी को भारतीय मुद्रा की छपाई का काम देने की जरूरत ही क्या है।
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि विदेशी कंपनी को नोट छपाई का काम देने के बाद अगर फिर से गड़बड़ी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
नासिक सिक्युरिटी प्रेस के पदाधिकारियों ने कहा कि भारतीय मुद्रा की छपाई नासिक, देवास, मैसूर व सालबोनी में की जाती है और नोट के कागज होसंगाबाद में तैयार किए जाते हैं।
इन पर बड़े पैमाने पर तगड़ा पुलिस बंदोबस्त रखा जाता है। भारतीय मुद्रा की छपाई निजी कंपनी को देने के बाद सुरक्षा की गारंटी नहीं रह जाएगी।