मुंबई। राकांपा नेताओं पर भ्रष्टचार के मामलों की जांच रुकने का नाम नहीं ले रही है। पूर्व मंत्री व वरिष्ठ राकांपा नेता छगन भुजबल के बाद 70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले की जांच का आदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर दे दिया है। इस जांच के लिए सरकार ने बाकायदा तीन सदस्यीय समिति गठित किया है।
पुणे के मुख्य जल विद्युत् अभियंता पांसे के अध्यक्षता में गठित समिति आगामी 2 महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौपेगी। सरकार के इस निर्णय से राकांपा के दागी नेताओं में बेचैनी बढ़ गई है।
बता दें छगन भुजबल के बाद राकांपा के दूसरे सबसे बड़े नेता अजित पवार पर सरकार ने करवाई करने निर्णय लिया है। इससे राकांपा की मुसीबतें बढ़ सकती है और बाद में प्रदेश राकांपा अध्यक्ष सुनील तटकरे की भी जांच होने की संभावना है। साल 2007 से 2013 के बीच अजित पवार ने 189 सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दी थी, जिसमें से 48 परियोजनाओं के काम ही शुरू नहीं हो सके है जबकि उनकी रकम ठेकेदारों को दे दी गई है।
इस मामले को लेकर प्रदीप पुरंदरे ने एक जनहित याचिका औरंगाबाद खंड पीठ में दायर की थी।। उस याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने सरकार को इस मामले की जांच कर 3 माह में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इसी निर्देश के तहत राज्य सरकार ने इस मामले को जाँच के तीन सदस्यीय समिति गठित कर 2 महीने में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
कुल 189 परियोजनाओं में से 48 योजनाओं के जांच शुरुआत में होगी, इसमे कुल 75.6 करोड़ रुपए के गड़बड़ी का अंदेशा जताया जा रहा है। जिन परियोजनाओं की जांच होनी है उसमें अमरावती विभाग की 33, नागपुर विभाग की 3, मराठवाड़ा के 11 और तापी की एक योजना का समावेश है।
गौरतलब है कि दिल्ली में बने महाराष्ट्र सदन और मुंबई कालिना कैंपस के भूखंड के व्यवहार में करोड़ों रुपए का घोटाला होने के आरोप में राकांपा के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के माध्यम से जांच चल रही है। ईडी ने उनके भतीजे पूर्व सासंद समीर भुजबल को इस मामले में गिरफ्तार भी किया है जबकि उनके बेटे पंकज भुजबल से लगातार पूछताछ चल रही है।
जल्द ही छगन भुजबल से भी पूछताछ होने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर भी राज्य सरकार द्वारा शिकंजा करने की कवायद शुरू किए जाने से राकांपा के वरिष्ठ नेताओं में खलबली मची हुई है।