नई दिल्ली। महात्मा गांधी के पोते कनुभाई गांधी 87 की उम्र में अपनी पत्नी के साथ दिल्ली के एक वृद्धा आश्रम में रहने के लिए मजबूर हैं। कनु गांधी महात्मा गांधी के तीसरे बेटे रामदास के तीन बच्चों में से एक हैं।
यूएस में 40 साल से ज्यादा का वक्त गुजारने के बाद कनु गांधी और उनकी 85 साल की पत्नी भारत वापस लौटे हैं। दिल्ली में आने से पहले वे दोनों गुजरात के कई आश्रमों में रह चुके हैं। कनुभाई और उनकी पत्नी लंबे समय तक हैंपटन, वर्जीनिया में रहे हैं जहां कनु नासा लेंजली रिसर्च सेंटर में काम करते थे। कनु गांधी यू.एस. सरकार के रक्षा विभाग में भी काम कर चुके हैं।
कनुभाई के अनुसार वह किसी के पास जाकर मदद नहीं मांग सकते, उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि लोग मेरी और मेरी पत्नी की मदद इस तरह करें जिससे हमें की मजबूती का अहसास हो। उन्होंने बताया कि उनकी और प्रधानमंत्री की मुलाकात हो चुकी है और प्रधानमंत्री ने उनकी हर तरह से मदद करने की बात कही थी लेकिन वह प्रधानमंत्री के पास गए ही नहीं। जिस आश्रम में कनु और उनकी पत्नी ठहरे हैं वहां पिछले हफ्ते से लोगों का आना जाना बढ़ गया लेकिन अभी तक कोई नेता नहीं पहुंचा है।
दूसरी ओर महात्मा गांधी के प्रपौत्र ने इस पूरे मसले पर ट्वीट करके कहा कि बापू के वारिसों की देखभाल की जिम्मेदारी देश या गांधीवादी संस्थाओं की नहीं है। अगर हममें से किसी का भी अंत रोड पर होता है तो यह हमारी किस्मत है। जहां तक मेरे अंकल कनु गांधी का केस है। साबरमती आश्रम और गुजरात विद्यापीठ ने उन्हें परमानेंट आवास का ऑफर दिया था।