नई दिल्ली। महिंद्रा एंड महिंद्रा शुक्रवार को कंपनी की कार्बन प्राइस की घोषणा करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई है।
आज की घोषणा महिंद्रा के अगले तीन वर्षों में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 25 प्रतिशत घटाने के अपने व्यावसायिक संकल्प के अनुरूप है। कंपनी ने अपने आंतरिक कार्बन प्राइस को 10 अमरीकी डॉलर प्रति टन उत्सर्जित घोषित किया है।
कार्बन प्राइसिंग असल में कार्बन उत्सर्जन पर लगने वाले कर जैसा है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे वैश्विक स्तर पर कार्बन से बढ़ रहे तापमान को कम करने में मदद मिलेगी।
कार्बन प्राइस असल में वह कीमत है जिसे चुकाने पर एक टन कार्बनडाईऑक्साइड वातावरण में छोड़ी जा सकती है। यह वह कीमत है जो कार्बन को वातावरण में छोड़ने के बाद विभिन्न माध्यमों से आमजन और सरकारों को उससे होने वाले नुकसान के एवज में खर्च करनी पड़ती है।
कार्बन प्राइसिंग की घोषणा करने वाली कुछ वैश्विक कंपनियों में यूनिलीवर, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, रॉयल डीएसएम, नोवार्टिस और ईडीएफ एनर्जी व अन्य शामिल हैं। इसके जरिए, महिंद्रा इस वर्ष 2 अक्टूबर को जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते का भारत सरकार द्वारा किए गए अनुसमर्थन में शामिल है।
महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के कार्यकारी निदेशक, डॉ. पवन गोयनका के अनुसार, ‘‘महिंद्रा टिकाऊपन में अग्रणी है और यह निम्न कार्बन वाले कारोबार के सृजन के प्रति अत्यधिक समर्पित है।
हमने इन वर्षों में अपना कार्बन उत्सर्जन कम किया है और इस नये कार्बन प्राइस से नवप्रवर्तनशीलता की गति बढ़ाने और कम ऊर्जा खपत वाली एवं नवीकरणीय तकनीकों में हमारे निवेशों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
हमें उम्मीद है कि इससे एक ऐसे समय में अन्य कंपनियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जब देश के आर्थिक विकास के क्रम में बीएयू परिदृश्य में भारत के उत्सर्जन का बढ़ना तय है।
इस प्रगति पर टिप्पणी करते हुए द वर्ल्ड बैंकग्रुप के कार्बन प्राइसिंग लीडरशिप कोलिशन के निदेशक, टॉम केर ने कहा कि महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का नया आंतरिक कार्बन प्राइस भारत और दुनिया भर की कंपनियों के लिए इस बात का एक शानदार उदाहरण है, कि किस तरह से स्मार्ट कंपनियां कार्बन जोखिम को दूर करते हुए निम्न-कार्बन निवेश अवसरों का लाभ ले रही हैं।