नई दिल्ली। विश्व चैम्पियन होने के बावजूद कोई भी भारत को पाकिस्तान के खिलाफ महामुकाबले में ज्यादा भाव नहीं दे रहा था लेकिन जब टीम इंडिया ने चिर प्रतिद्वंद्वी को 76 रन से चौंकाया तो देश भर में ऎसा जश्न मना मानो भारत ने विश्व कप ही जीत लिया हो।
विश्व कप 1975 में शुरू हुआ था लेकिन दोनों टीमों के बीच पहला मुकाबला चार मार्च 1992 को हुआ था। उस मुकाबले से अब तक भारत अपने पड़ोसी देश को विश्व कप में छह बार शिकस्त दे चुका है। भारत ने पहला मुकाबला 43 रन से, 1996 में दूसरा मुकाबला 39 रन से, 1999 में तीसरा मुकाबला 47 रन से, 2003 में चौथा मुकाबला छह विकेट से और 2011 में पांचवा मुकाबला 29 रन से जीता।
भारत के पाकिस्तान पर जीत के छक्े में छह अंक का दिलचस्प संयोग रहा। यह विश्व कप में भारत की पाकिस्तान पर छठी जीत थी, मैच की 15 फरवरी की तारीख के दोनों अंकों को मिलाया जाए तो यह छह बनता है और वर्ष 2015 के आखिरी दो अंकों को मिलाया जाए तो यह भी छह बनता है।
इस जीत ने भारतीय टीम को जबर्दस्त हौसला दे दिया है जो आस्ट्रेलियाई जमीन पर पिछली पराजयों के कारण लगातार आलोचनाओं से जूझ रही थी। कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी, ड्रेसिंगरूम में विराट कोहली और शिखर धवन के विवाद, ओपनरों की असफलता और गेंदबाजी आक्रमण की धार पर सवाल उठाए जा रहे थे लेकिन टीम ने जिस तरह एकजुट इकाई के रूप में प्रदर्शन किया उसने आलोचकों को बगले झांकने के लिए मजबूर कर दिया है।
आस्ट्रेलियाई जमीन पर भारत को पिछले दिसम्बर से अब जाकर किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में पहली जीत के दीदार हुए। ओपनर शिखर धवन का फार्म में लौटना, विराट कोहली का आक्रामक खेलने के बजाय विकेट पर डटे रहकर 22वां शतक बनाना, सुरेश रैना का पावर हिटर का रूप, कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की कूल कप्तानी और मोहम्मद शमी के चार विकेट मैच के सबसे सकारात्मक पक्ष रहे।
क्षेत्ररक्षण में भारतीय खिलाडियों का जोश और हर पाकिस्तानी विकेट गिरने के बाद एक दूसरे को गले लगाकर बधाई देने का अंदाज दिखा रहा था कि टीम में मनमुटाव जैसी खबरें बस ख्याली पुलाव हैं। लेकिन टीम इंडिया को ध्यान रखना होगा कि यह महाजीत विश्वकप की एक अच्छी और मनोबल बढ़ाने वाली शुरूआत है और सफर अभी क ाफी लम्बा है। धोनी विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ 6-0 के आंकड़े में बहुत गहराई से नहीं जाना चाहते हैं।
धोनी ने मैच के बाद कहा कि यह रिकार्ड अच्छा है लेकिन यह आंकड़ा कुछ ऎसा है जिसमें मैं पड़ना नहीं चाहता हूं क्योंकि कभी समय आएगा जब हम हार भी सकते हैं। इस बारे में सोचने का ज्यादा औचित्य नहीं है। लेकिन हमने जो किया है उस पर हमें गर्व है। भारतीय कप्तान जानते हैं कि इस महाजीत पर देश भर में जश्न मना है और बधाइयों का तांता लगा हुआ है।
लेकिन यदि टीम हारती तो सहज कल्पना की जा सकती है कि प्रशंसक क्या करते और सोशल मीडिया पर क्या कुछ सुनने को मिलता। विश्व कप सिर्फ एक मैच नहीं बल्कि पूरा सफर है और टीम इंडिया को दोबारा अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए लम्बा सफर तय करना है। इस जीत ने टीम इंडिया को नया जोश और हौसला दिया है जो आगे के मैचों में उसके लिए टानिक का काम करेगा।
खत्म कर दिया सात फुट इरफान का खौफ
पाकिस्तान के जिस सात फुट एक इंच लम्बे बाएं हाथ के तेज गेंदबाज मोहम्मद इरफान को विश्व कप में एक बड़ा खतरा बताया जा रहा था उसका खौफ टीम इंडिया ने पहले ही मैच में खत्म कर दिया। सात फुट इरफान की गेंदों की उछाल को लेकर पूर्व भारतीय किकेटर आशंका व्यक्त कर रहे थे कि भारत के शीर्ष कम को उनसे काफी परेशानी होगी लेकिन जब मैच समाप्त हुआ तो इरफान का गेंदबाजी विश्लेषण था 10 ओवर 58 रन और कोई विकेट नहीं।
भारत-पाकिस्तान के बीच हाई वोल्टेज मुकाबले से पहले सहायक कोच संजय बांगड नेट प्रेक्टिस में दो स्टूल पर खडे होकर भारतीय बल्लेबाजों को उछाल का अभ्यास करा रहे थे। बांगड की दो स्टूल पर खडे होकर गेंद फेंकने की तस्वीर मीडिया में खासी छाई रही जिसके बाद यह कयास लगाए गए कि इरफान की उछाल से निपटने के लिए यह रणनीति बनाई गई है।