लंदन। लड़कियों की शिक्षा की वकालत करके तालिबान के गुस्से का शिकार बनी पाकिस्तानी लडक़ी मलाला यूसुफजई और उसका परिवार महज तीन सालों के अंतराल में करोड़पति बन गए हैं। यह संभव हुआ है मलाला के द्वारा लिखी गई एक किताब की बिक्री और उसके व्याख्यानों से।
नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई ने पाकिस्तान की स्वात घाटी में तालिबान शासन के बीच अपने जीवन को मलाला ने एक किताब ‘आई एम मलाला’ में लिपिबद्ध किया है।
मलाला यूसुफजई को तालिबान आतंकियों ने स्कूल जाने से मना किया था। तालिबान आतंकियों की धमकी से डरे बिना मलाला न केवल स्कूल गई, बल्कि उसने लड़कियों की शिक्षा की वकालत भी की। तालिबान आतंकियों ने अपना खौफ बनाए रखने के लिए मलाला को सिर में गोली मार दी थी।
मलाला ने अपनी इस पूरी कहानी को ‘संडे टाइम्स’ की पत्रकार क्रिस्टीना लैम्ब के सहयोग से एक किताब का रूप दिया है। मलाला की इस कहानी के अधिकारों की सुरक्षा के लिए स्थापित की गई कंपनी के बैंक खाते में अगस्त 2015 में 22 लाख पाउंड थे और कर चुकाने से पहले उसका कुल लाभ 11 लाख पाउंड था।
ब्रिटिश समाचार पत्र ‘द टाइम्स’ की खबर के अनुसार मलाला, उसके पिता जियाउद्दीन युसुफजई और उसकी मां तूर पेकाई इस कंपनी ‘सालारजई लिमिटेड’ के शेयरधारक हैं। पूरा परिवार अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहता है, जहां मलाला एडगबास्टन हाई स्कूल फॉर गर्ल्स में पढ़ती है। मलाला को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया और वह दुनिया में सबसे कम उम्र की नोबल पुरस्कार विजेता बन गई।