मुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एक विशेष अदालत ने बुधवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, रमेश उपाध्याय और अजय रहिकर के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम और गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के तहत लगाए गए आरोपों को हटा दिया।
गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा 17, 20 और 13 एवं हथियार अधिनियम के तहत सभी आरोपों को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन अदालत ने गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम की धारा 18 के साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 302, 307, 304, 326, 427 और 153ए के तहत साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित के खिलाफ सुनवाई करने का फैसला किया है।
एनआईए की विशेष अदालत ने कहा कि सभी आरोपी पहले से ही जमानत पर जेल से बाहर हैं, इसलिए पहले के सभी बांड व जमानत बने रहेंगे। मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी। अदालत ने साध्वी प्रज्ञा को साजिश रचने के आरोपों से मुक्त करने से इंकार करते हुए कहा कि विस्फोटक ले जाने वाली मोटरसाइकिल के बारे में उसे जानकारी थी।
सोमवार को अदालत ने पुरोहित और दूसरे आरोपी समीर कुलकर्णी की ओर से गैर-कानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के प्रावधानों के तहत अभियोग चलाने की मंजूरी को चुनौती देते हुए दायर याचिका को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को नासिक के मालेगांव शहर में एक मोटरसाइकिल से बंधे बम के फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग इस घटना में जख्मी हुए थे। महाराष्ट्र पुलिस की आतंक रोधी दस्ते ने मामले में 11 लोगों को नवंबर 2008 में गिरफ्तार किया था। अप्रेल 2011 में मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपा गया था।