रीवा। चौबीस घंटे के भीतर दो बच्चों का अपहरण कर पुलिस की आंखों से नीद उड़ा देने वाले आरोपी पर कानून का शिंकजा ऐसा कसा कि वह पुलिस के दबाव से डर गया और पकड़ा गया।
उसने विदेश जाने की हसरत में बच्चों का अपहरण कर धन एकत्रित करने का मंसूबा पाला था लेकिन विदेश तो वह जा नहीं पाया अलबत्ता वह विदेश जाने के चक्कर में जेल की लंबी यात्रा में अवश्य पहुंच गया। बच्चों के अपहरण के बाद उसने पुलिस को भी चकरघिन्नी का नाच नचाया और अंत में अपने ही बनाये जाल में उलझकर फंस गया।
पहला अपहरण नाकाम होने के बाद उसने एक चार वर्षीय बच्ची का अपहरण कर पुलिस चौकी के पास ही एक अरहर के खेत में जाकर छिप गया और वहीं से मोबाइल फोन के माध्यम से पुलिस को घुमाता रहा लेकिन पुलिस को लगातार बढ़ता लश्कर देखकर वह इस कदर डर गया कि बगैर फिरौती लिये ही बच्ची को छोड़ दिया। जिसके बाद घेराबंदी करके पुलिस ने उसको भी दबोच लिया और बच्चों के अपहरण की नाटकीय कहानी का पटाक्षेप कर दिया।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों बच्चों के अपहरण का मुख्य आरोपी मास्टर माइंड विनय शुक्ला पुत्र लालजी शुक्ला 17 वर्ष निवासी लालगांव है जो दसवी की परीक्षा अच्छे अंको में पास करने के बाद 11 वीं पढ़ते-पढ़ते वह पूना भाग गया और वहां अच्छी खासी नौकरी करने लगा। लेकिन उसकी हसरत विदेश जाकर पैसा कमाने की थी। लिहाजा वह विदेश जाने का मंसूबा पालकर वह धन जुटाने के लिए अपराध जगत में उतर गया। उसने भयानक निर्णय लेते हुए लालगांव के पास स्थित पताई गांव के 13 वर्षीय बालक सूर्यनाथ ङ्क्षसह पुत्र विक्रमादित्य का विगत 21 फरवरी को उस समय अपहरण कर लिया जब वह सायकल से स्कूल जा रहा था।
उक्त बच्चे को लेकर वह एक अहरी में चला गया जहां से मौका पाकर भाग निकला और उसने अपने पिता को फोन पर जानकारी दी। इसके बाद पुलिस के साथ पहुंचकर उसके पिता ने सूर्यनाथ को बरामद कर लिया। लेकिन यह घटना का अंत भी नहीं हुआ था कि लालगांव बाजार से किराना व्यापारी विनोद गुप्ता की चार वर्षीय पुत्री अनुष्का गुप्ता का रात 8 बजे बेहद ही नाटकीय ढंग से अपहरण कर लिया गया। इसके बाद एक बच्चे के ही माध्यम से दुकान तक चिठ्ठी पहुंचाकर 10 लाख की फिरौती मांगी गई।
यहीं पर अपहरणकर्ता द्वारा की गई गलती के कारण वह कानून के शिकंजे में भी फस गया। दरअसल उसने चिठ्ठी में मोबाइल नंबर देकर बात करने के लिए बोला था। जब विनोद गुप्ता ने फोन लगाया तो 10 लाख रूपये की मांग करते हुए गंगेव बुलाया इसके बाद उसने मोबाइल बंद कर दिया। कुछ देर बाद जब उसने दुबारा मोबाइल आन किया और विनोद गुप्ता से बात होने पर फिरौती की रकम दुगनी करते हुए 20 लाख रूपये मांग की। उसने अब खुद को कटरा में बताते हुए वहीं पर आने के लिए कहा।
लेकिन दरअसल वह लालगांव पुलिस चौकी के पास ही अरहर के खेत में बच्ची को लेकर छिता हुआ था और वहीं से पुलिस की सारी गतिविधियों पर स्वयं ही नजर रखे हुए था। जब उसने देखा कि पुलिस का लश्कर लगातार बढ़ता जा रहा है और सुबह होने पर वह अरहर के खेत से निकल भी नहीं पायेगा। दूसरा उसका मोबाइल नंबर पुलिस ने सर्विलांस में डालकर टाबर लोकेशन के आधार पर यह भी पता कर लिया कि अपहरणकर्ता यहीं आसपास ही मौजूद है। पुलिस के बढ़ते दबाव से अपहरणकर्ता विनय शुक्ला कुछ अधिक ही खौफ खा गया और उसने अरहर के खेत से बच्ची को छोड़ दिया जिससे वह सडक़ में पहुंचते ही पुलिस की नजर में आ गई और यह अपहरण की गुत्थी भी सुलझते देख पुलिस ने राहत की सांस ली।
अब बारी थी अपहरणकर्ता को पकडऩे की तो जैसे ही पुलिस के हाथ चार वर्षीय अनुष्का लगी तो फिर पुलिस ने घेराबंदी करके विनय शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया। वह सुबह अपहृत किये गये बालक सूर्यनाथ की ही सायकल लेकर समोसा खाने आ गया । जैसे ही होटल पहुंचा पुलिस ने उसे दबोच लिया। पुलिस के सामने उसने अपना अपराध भी कबूल कर लिया है और उसने यह भी बताया कि यह अपहरण उसने विदेश जाने के लिए किया था। लेकिन दांव उल्टा पड़ गया और वह पुलिस के सिकंजे में फस गया। पुलिस ने उसके विरूद्ध अपहरण का प्रकरण पंजीबद्ध कर न्यायालय में पेश किया गया जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
दोनों बच्चों की सकुशल रिहाई एवं अपहरणकर्ता के पकड़े जाने के बाद बच्चों के परिजन बच्चों को लेकर पुलिस अधीक्षक आकाश जिंदल के पास पहुंचे और उन्होंने पुलिस की सूझबूझ की तारीफ करते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली की सराहना की और एसपी जिंदल का आभार व्यक्त किया। हालांकि एसपी श्री जिंदल ने कहां कि यह तो पुलिस का कर्तव्य है लेकिन जिस तरह से पुलिस ने घेराबंदी करके अपहरणकर्ता पर दबाव बनाकर दोनों पकड़ छोडऩे के लिए आरोपी को मजबूर किया यह पुलिस की सफलता का द्योतक है।