भीलवाड़ा। कोर्ट के लम्बे चक्कर और भूमाफियाओं के आतंक से परेशान एक व्यक्ति शनिवार सुबह डेढ़ सौ फीट ऊंचे मोबाइल टॉवर पर चढ़ गया और फन्दा लगाकर जान देने की धमकी देने लगा। इससे वहां मौजूद लोगों और अधिकारियों की सांसे चढ़ गई लेकिन सात घण्टे की मशक्कत के बाद उसके सुक्षित उतरने पर सभी ने राहत की सांस ली।
युवक तो आखिर सात घंटे की हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद उतर आया लेकिन टेक्सटाइल सिटी के नाम से पहचाने जाने वाले शहर भीलवाड़ा में कुकुरमुत्तों की तरह फैले इन निजी कंपनियों के टेलीफोन टावर की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है कि आखिर इनकी सुरक्षा किनके भरोसे है।
भीलवाड़ा के जवाहर नगर में युवक लाला उर्फ ओम प्रकाश पटवा उपखंड मजिस्ट्रेट के राजस्व न्यायालय में चल रहे अपने जमीनी विवाद के निस्तारण के लिए सुबह सात बजे टावर पर चढ़ गया जिसे नीचे उतारने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को दोपहर दो बजे तक लगातार सात घण्टे तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी तब यह युवक नीचे उतरा।
जवाहरनगर में रहने वाला लाला उर्फ ओमप्रकाश पटवा शनिवार सुबह सवेरे गुरुजी की होटल के पिछवाड़े स्थित एक मोबाइल टॉवर पर चढ़ गया। इसकी जानकारी मिलने पर प्रतापनगर थानाप्रभारी रामावतार, उपखण्ड अधिकारी अविचल चतुर्वेदी, नगर परिषद आयुक्त संजय माथुर, अतिरिक्त कलक्टर सुरेश यादव, तहसीलदार सहित कई अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और अपने स्तर पर लाला को समझाने का प्रयास किया लेकिन वो टस से मस नहीं हुआ।
उसने टॉवर से ही कुछ कागजात और मांग पत्र फेंका जिसमें उसने तीन दिन पूर्व दिल्ली के जंतर-मंतर पर भ्रष्ट व्यवस्थाओं के खिलाफ फन्दे पर झूले गजेन्द्र सिंह को अपना प्रेरणा स्रोत बताते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की बात कही। उसने यहां तक आरोप लगाया कि 500-500 रुपए में कत्ल करवाए जा रहे हैं और भूमाफिया कुछ भी करा सकते हैं।
उसने अपनी जमीन को फर्जी कागजातों से कुछ लोगों व भूमाफिया द्वारा हड़प लेने का आरोप लगाते हुए इस मामले में एसडीएम कोर्ट और पुलिस पर गम्भीर प्रश्न खड़े किए। उसने तो यहां तक कहा कि उसकी जान को खतरा है। इस बीच उसने समझाइश को नकारते हुए फन्दा लगा लिया तो वहां मौजूद लोग और अधिकारी सकते में आ गए। बाद में उसे समझाया तो उसने फन्दा हटा लिया।
वहां मौजूद उपखण्ड अधिकारी ने उसे आश्वासन दिया कि वह उचित कार्यवाही करेंगे। उसने आखिर में विश्वास तो अधिकारियों पर जताया लेकिन फिर भी उतरने को तैयार नहीं हुआ। इस बीच उसके द्वारा फेंके गये कागजातों में नगर विकास न्यास का भी जिक्र आया और उसने न्यास पर भी फर्जी पट्टे बनाने का आरोप लगाया। इसके बाद सचिव प्रदीप सांगावत भी वहां पहुंचे।
सात घण्टे की मशक्कत के बाद जब कोई फायदा नहीं निकला तो लाला के कुछ दोस्तों ने उसे समझाया और आश्वासन के साथ कि उसके साथ कोई अन्याय नहीं होगा, तब जाकर लाला ने नीचे उतरने को राजी हुआ। बाद में वह पौन घण्टे की मशक्कत के बाद नीचे उतरा तो उसे भीमगंज थानाप्रभारी तुलसीराम और प्रतापनगर थानाप्रभारी रामावतार टॉवर से जीप में बिठाकर अस्पताल ले गए।
उपखण्ड अधिकारी अविचल चतुर्वेदी ने कहा कि कुछ भूमाफियाओं की चर्चा सामने आई है लेकिन दस्तावेजों की जांच और लाला की तबियत ठीक होने पर उससे बातचीत कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। इससे पूर्व मामले की गम्भीरता को देखते हुए मौके पर फायर ब्रिगेड और सुरक्षा के आवश्यक इन्तजाम भी किए गए और टॉवर के नीचे जाली भी बांधी गई। वहीं टॉवर पर चढ़े व्यक्ति को देखने के लिए सवेरे 7 बजे से दोपहर एक बजे तक वहां लोगों का मजमा लगा रहा।
टेलीफोन टावर पर यदि सुरक्षा गार्ड होता तो इतने बड़े सरकारी लवाजमे को इस कठिन मशक्कत से दो चार नहीं होना पड़ता और न ही एक युवक की जिंदगी सात घंटो तक डेढ़ सौ फिट ऊंचाई पर अटकी रहती क्योंकि इस सिरफिरे युवक ने अपने गले में फांसी का फंदा लगा कर आत्महत्या की धमकी जो दी थी इस सात घंटे के हाई वोल्टेज ड्रामे में भीलवाड़ा के अतिरिक्त कलेक्टर शहर सुरेश यादव, उपखंड अधिकारी अविचल चतुर्वेदी सहायक पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा युवक के माता-पिता और पत्नी सहित लोगों की सांसें अटकी रही।