ठाणे। अदालत ने उस व्यक्ति को 14 दिनों के सश्रम कारावास की सजा सुनाते हुए अपने सास ससुर की भावनात्मक और मेडिकल जरूरतों का ख्याल रखने का आदेश दिया है जिसकी पत्नी ने संतान जनने में अपनी असमर्थता को लेकर प्रताडि़त किए जाने के बाद आत्मदाह कर लिया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मृदुला वीके भाटिया ने बुधवार को जारी आदेश में 35 वर्षीय रिजवान गनी नूरी को अपनी पत्नी को गर्भधारण करने में असमर्थ होने के कारण परेशान करने का दोषी ठहराया।
नूरी की 1999 में शगुफ्ता के साथ शादी हुई थी लेकिन उनके कोई संतान नहीं था। नूरी द्वारा लगातार प्रताडि़त किए जाने के कारण शगुफ्ता ने नवंबर 2010 में खुद को आग लगा ली और बाद में उसकी मौत हो गई।
नूरी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं 306 और 498ए के तहत मामला दर्ज किया गया था। धारा 306 आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित है जबकि 498ए पति द्वारा पत्नी को प्रताडित किए जाने से संबंधित है।
उसके खिलाफ धारा 306 के तहत आरोप साबित नहीं हो सके और उसे धारा 498ए के तहत दोषी ठहराया गया। अदालत ने अभियुक्त को 14 दिन के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जो वह पहले ही जेल में गुजार चुका है। अदालत ने उसे उस दिन अदालती कार्यवाही पूरी होने तक हिरासत में रहने का निर्देश दिए।
अदालत ने उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी किया। नूरी को एक पखवाड़े के भीतर जुर्माने की राशि उसे अपने ससुर को देनी होगी और ऐसा नहीं करने पर उसे एक महीने और जेल में रहना पड़ेगा।
अदालत ने अपने आदेश में अभियुक्त को यह निर्देश भी दिया कि वह आज से चार महीने तक हर पखवाडे पुणे में अपीलकर्ता ससुर प्रकाश पुजारी के पास जाए और उनकी तथा उनकी पत्नी के पास चार घंटे बिताए एवं उनकी भावनात्मक, मेडिकल और अन्य जरूरतों का ख्याल रखे।
अदालत ने अभियुक्त को आज से चार महीने तक हर पखवाडे एक घंटा ठाणे में नूरी बाबा दरगाह में बिताने तथा परिसर की सफाई करने और पेड़ों में पानी देने का भी निर्देश दिया।
उसे 28 फरवरी 2016 तक हर महीने की पहली और 15 तारीख को उपर्युक्त कार्य के बारे में एक रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया गया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में आदेश का पालन नहीं किए जाने पर अभियुक्त को 15 दिनों के सश्रम कारावास की सजा काटनी होगी।