इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी व बच्चों के रहते दूसरी शादी करने वाले जयभगवान राणा को अभिरक्षा में लेने का आदेश दिया है और महानिबंधक को इसके खिलाफ इलाहाबाद के समक्ष मजिस्ट्रेट की अदालत में आपराधिक मुकदमा कायम करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायाधीश सुनीत कुमार ने दीपांशी जय भगवान राणा की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। मालूम हो कि जय भगवान राणा की पहली पत्नी संभल के सिरसा गांव की रहने वाली है। उससे बच्चे भी है।
जय भगवान राणा ने धोखा देकर पहली पत्नी गोमती के जीवित रहने याची दीपांशी से दूसरी शादी कर ली। अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में झूठा हलफनामा दाखिल किया है और कहा कि पहली पत्नी की सहमति से दूसरी शादी की है।
कोर्ट में झूठा हलफनामा दाखिल करना न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप है। जो धारा 191 भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध भी है। कोर्ट ने कहा कि याची को पता है कि उसके बच्चे व पत्नी है और धोखा देकर याची से दूसरी शादी कर ली।
याची ने कोर्ट में हलफनामा दिया कि यह उसकी पहली शादी है। जबकि उसकी पत्नी व बच्चे पहले से है। कोर्ट ने पति को कोर्ट को जान बूझकर गुमराह करने के लिए अभिरक्षा में ले लिया और प्रथम याची पत्नी दीपांशी को बालिग होने के नाते स्वतंत्र छोड़ दिया है।
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