उदयपुर। अबला विधवा के साथ दुष्कर्म करने के मामले में मास्टर बैण्ड के मालिक बुलबुल को अदालत ने सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। साथ ही पीड़िता को प्रतिकर के रूप में 50 हजार रुपए देने के आदेश दिए।
प्रकरण के अनुसार खेरादीवाड़ा क्षेत्र की रहने वाली एक विधवा ने 24 जनवरी 2013 को सूरजपोल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि पति की मृत्यु के बाद अपने 15 व 17 वर्षीय दो पुत्रों के साथ मकान में रहती हूं। मकान में परिवार के अन्य सदस्य भी रहते थे।
जेठ के वहां पर गांधी नगर मुल्लातलाई निवासी मास्टर बैंड का मालिक गुलाम नबी उर्फ बुलबुल पुत्र अमीर मोहम्मद आता था। गुलाब नबी ने अबला विधवा को विश्वास में लेकर पहले जान-पहचान बढ़ाई और एक दिन अपना धार्मिक त्यौहार होना बताकर घर पर कोई नहीं था उस समय घर गया और अपने साथ मिठाई व पेप्सी लेकर आया।
विधवा को मिठाई व पेप्सी के पीने के बाद चक्कर आए और वह बेहोश हो गई। होश आया तो उसने अपने आपको अर्धद्नग्नावस्था में पाया। आरोपी बुलबुल ने उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया और मोबाइल में उसकी अश्लील तस्वीरें भी खींच ली।
इन अश्लील तस्वीरों के जरिये ब्लेकमेल करता रहा और इंटरनेट पर वायरल करने और रिश्तेदारों, परिवार व समाज को दिखाने की धमकियां देता था। इस तरह आरोपी ने करीब आठ-नौ वर्षों तक जबरन दुष्कर्म कर शारीरिक व मानसिक, आर्थिक शोषण कर रहा है।
ब्लेकमेलिंग के जरिये अब वह मकान भी हड़पना चाहता है। जब दुष्कर्म का विरोध करती थी तो मेरे साथ मारपीट भी करता था। इसके दो-तीन पत्नियां पूर्व में है और अन्य महिलाओं से संबंध है। देवर व जेठ ने भी मकान को मुझे बेच कर अन्यत्र चले गए और इसी का फायदा उठा कर आरोपी लगातार घर आता था और ब्लेकमेल कर दुष्कर्म करता था।
सूरजपोल पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ जांच पूर्ण कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक रामकृपा शर्मा ने 12 गवाह व 16 दस्तावेज प्रदर्शित किए।
अभियोजन पक्ष आरोपी बुलबुल के खिलाफ मोबाइल से फोटो खींचने का आरोप व ब्लेकमेल करने का आरोप सिद्ध करने में असफल रहा। अतिरिक्त सेशन न्यायालय (महिला उत्पीडऩ प्रकरण) के पीठासीन अधिकारी ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आरोपी गुलाम नबी उर्फ बुलबुल को भादसं की धारा 354 व 384 में संदेह का लाभ देकर दोष मुक्त कर दिया, जबकि भादसं की धारा 376 में दोषी करार देते हुए सात वर्ष के कठोर कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
पीठासीन अधिकारी ने अपने फैसले में लिखा कि पीडि़ता को उसके परिवार, समाज एवं पड़ौसियों के बीच बदनामी का दंश झेलना पड़ा एवं अभियुक्त के द्वारा बनाए गए डर के साये में जीना पड़ा। साथ ही पीडि़ता ने शारीरिक व मानसिक पीड़ा को भी सहा है।
झेली गई क्षति से उबरने व पुनर्वास की दृष्टि से आरोपी गुलाब नबी उर्फ बुलबुल को भादसं की धारा 357 के तहत पीड़िता को 50 हजार रुपए देने आदेश दिए। साथ ही राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 के तहत पीड़िता को प्रतिकर दिलाए जाने की जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से अनुशंषा किया जाना न्यायोचित है। साथ ही फैसले की कॉपी जिला विधिक शाखा को भेजने के आदेश दिए।