इम्फाल। मणिपुर राज्य ने करीब 24 वर्षों के बाद पहली बार शराब की विनिर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध हटाने का फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया जिसमे शराब पर लगे प्रतिबन्ध हटाने का योजना बना रही है। वर्ष 1991 में शराब पर प्रतिबंध लगाया गया था।
तत्कालीन मुख्यमंत्री आर.के. रणबीर सिंह ने नागरिक अधिकार समूहों, विशेष रूप से मणिपुर की महिला कार्यकर्ताओं मुख्यरूप से मीरा पैबीस द्वारा एक बड़े पैमाने पर आंदोलन के बाद प्रतिबन्ध लगाया गया था।
विधानसभा में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नागालैंड और मणिपुर को छोड़कर देश के बाकी राज्यों में भारत-निर्मित विदेशी शराब की बिक्री पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है।
प्रतिबंध हटाने के बाद बाकी राज्य राजस्व में एक उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज़ किया है। मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि असम के खटखटी में उत्पादन होने वाली कम गुणवत्ता वाली शराब धोखे से राज्य में बेचा जा रहा है जिससे राज्य को राजस्व में काफी नुकसान हो रहा है।
पिछले ही साल पड़ोसी राज्य मिजोरम में साल जुलाई 2014 में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध को उठा लिया था, जिसके बाद मणिपुर ने यह कदम उठाने का फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दिया कि तमिलनाडु राज्य अकेले उत्पाद शुल्क से लगभग 25 करोड़ रुपये सालाना उत्पन्न करता है और इसी वज़ह से राज्य के सभी बीपीएल परिवारों को मुफ्त में चावल प्रदान करने में सक्षम है। वहीं इसके विपरीत मणिपुर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने में असमर्थ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्तीय बाधाओं के कारण हम बीपीएल परिवारों को प्रति किलो 3 रुपये चावल उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं। ज्ञात हो कि मणिपुर में उत्पादित पारंपरिक चावल शराब और चावल बीयर का देश के अन्य प्रान्त में भारी मांग है।
मुख्यमंत्री सिंह ने राज्य के गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज संगठनों से अपील की है कि राज्य में शराब की निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध हटाने पर विचार करे क्योकि राज्य इससे अधिक राजस्व इकट्टा कर सकती है।