नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम के जरिये किसानों से बात की। उन्होंने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सरकार का पक्ष रखा।
एवं हाल ही में बारिश से हुये नुकसान के बाद किसानों को हर संभंव मदद देने का वादा किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष झूठ बोलकर किसानों को गुमराह कर रहा है।
उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण पर भ्रम फैलाया जा रहा है और वह सत्य जनता तक पहुंचाना चाहता हैं। उन्होंने कहा कि देश आजाद होने के बाद भी 120 साल पुराना कानून 60 सालों तक चला। इसी कानून के तहत सालों तक पिछली सरकारों ने जमीन का अधिग्रहण किया।
इसमें 2013 में बदलाव किया गया जिसका हमने भी साथ दिया लेकिन कानून लागु होने के बाद हमें लगा कि किसान के साथ धोखा हुआ है, राज्यों की ओर से बातें सामने आई जिसमें इसकी कमियां उजागर हुई।
कोई राज्य सरकार इसे लागु नहीं करना चाहती, कांग्रेस शासित राज्यों ने तो मुआवजा आधा कर दिया। हमें लगा कि इसमें कमियां हैं जिसे दूर किया जाना चाहिये जिससे किसानों, उनकी संतानों और गांवों का भला हो।
भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में किये गये बदलावों का जिक्र करते हुये उन्होंने कहा कि पहले अलग-अलग तरह से जमीन ली जाती थी जिसमें रेलवे, सड़क और अन्य परियोजनायें थी।
इन 13 तरीकों से जमीन अधिग्रहण को कानून के दायरे से बाहर रखा गया था और उसमें किसानों को वही मुआवजा मिलता था जो पहले मिलता था। हमनें सबको इसी कानून के अंतर्गत ला दिया ताकि किसी भी प्रकार से जमीन अधिग्रहित हो किसानों को उसका सही मुआवजा मिले। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों को पूरा मुआवजा दिया जायेगा और उसमें रति भर भी कमी नही की गयी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरीकरण के लिये जमीन का अधिग्रहण होगा तो उसका 20 प्रतिशत किसानों और जमीन मालिकों मिलेगा और उन्हें रोजगार भी दिया जायेगा। जिले के अधिकारियों को लिखित तौर पर इसे देना होगा।
उन्होंने कहा कि जमीन का अधिग्रहण करते समय ध्यान दिया जायेगा कि पहले सरकारी जमीन फिर बंजर और यदि आवश्यक हो तो कृषि भूमि का अधिग्रहण हो। ज़रुरत से ज्यादा जमीन नही ली जायेगी पहले से तय किया जायेगा और फिर जमीन ली जायेगी। उन्होंने कहा कि नये कानून में जटील प्रक्रिया को सरल किया गया है। इस कानून को किसी राज्य को नही मानना है तो वह स्वतंत्र है।
उन्होंने कहा कि इस कानून का विरोध किसान को गरीब रखने और देश को आगे न जाने देने का षड़यंत्र है। हमारी सरकार जय जवान और जय किसान वाली सोच रखती हैं रक्षा के लिये जमीन, सड़क, नहर, या आवास बनाने के लिये जमीन ली जायेगी उसमें सहमति का प्रावधान हटाया गया है। नये कानून में निजी अधिग्रहण के तहत ली जाने वाली जमीन पर 2013 के कानून के तहत ही काम होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसा भ्रम फैलाया जा रहा है कि किसानों से कानूनी अधिकार छीने जा रहें हैं। आपको न्यायालय जाने का पूरा हक है। हमने एक अधॉरटी बनायी है पहले वह आपकी समस्या का समाधान करेगी उससे संभव न हुआ तो आप आगे न्यायालय जा सकते हैं।
आपको गुमराह करने का प्रयास कर रहा है। पीपीपी मोडल के तहत सड़क बनती है तो पूंजी किसी की भी हो लेकिन स्वामित्व सरकार का रहता है। और जिन पर सरकार का सवामित्व रहता है उसमें भी सहमति की आवश्यकता नही है।
उन्होंने औद्योगिक गलियारे पर कहा कि क्या किसान जाहेगा की उसका बेटा दिल्ली और मुंबई की झुग्गियों में रहे। इसलिये सरकार इंडस्ट्रीयल कोरिडोर बनाती है जिससे गांव के लोगों को रोजगार मिले।
उन्होंने कहा कि इसके बाद भी कोई कमी रह जाती है तो सरकार उसे दूर करने को तैयार है लेकिन किसान झूठ के सहारे निर्णय न करे।
हाल ही में बेमौसम बरसात पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल बेमौसम बारिश और ओले वृष्टि से किसानों को भारी क्षति हुई हैं। इस दुख की घड़ी में सरकार आपके साथ है। किसानों को बिजली नहीं मिल रही है। खाद की कीमतों को लेकर किसानों में नाराजगी है। संकट की घड़ी में तत्परता से मदद करेंगे।
इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में श्री मोदी ने कहा कि किसानों से बात करना अलग प्रकार का अनुभव है। देश भर के किसान ने सवाल पूछे हैं। उनका दर्द आश्चर्य पैदा करने वाला है इसलिये वह उन्हें प्रणाम करते हैं। मेरे लिए मन की बात एक शिक्षा की तरह है। किसानों ने अपने मुश्किलों पर चर्चा की।