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manohar parrikar Rakes up aamir khan's controversial comments
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दिखावे से नहीं बढ़ता राष्ट्रप्रेम का भाव

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दिखावे से नहीं बढ़ता राष्ट्रप्रेम का भाव
manohar parrikar Rakes up aamir khan's controversial comments
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manohar parrikar Rakes up aamir khan’s controversial comments

ऐसा लगता है कि देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर एक बार फिर बहस तेज हो सकती है। क्यों कि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने फिल्म अभिनेता आमिर खान द्वारा असहिष्णुता के मुद्दे पर दिए गये उनके बयान को आधार बनाकर उन पर कटाक्ष किया है।

अब रक्षामंत्री सफाई देने में लगे हैं कि मैंने किसी का नाम लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। देश में असहिष्णुता के मुद्दे की पृष्ठभूमि में उपजे विवाद के बीच काफी राष्ट्रव्यापी हंगामा हो चुका है तथा इस मुद्दे को लेकर आये दिन होने वाले वाद-प्रतिवाद से विश्वस्तर पर देश की साख को पिछले दिनों ही काफी बट्टा लग चुका है।

ऐसे में रक्षामंत्री को चाहिए था कि वह अब आमिर खान के मुद्दे को एक बार फिर से हवा देने के बजाय अपनी मौलिक जिम्मेदारियों पर ध्यान देते तो ज्यादा बेहतर होता लेकिन ऐसा लग रहा है कि अपना मूल काम उनसे हो नहीं पा रहा है तथा दूसरों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाने के लिए अनावश्यक ज्ञान बांटने की मानसिकता से प्रेरित होकर वह फिर विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

जबकि हर किसी को यह अच्छी तरह पता है कि महज दिखावे से कभी भी कोई व्यक्ति या संगठन देशभक्त या देशप्रेमी नहीं बन सकता बल्कि देशप्रेम उसके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से झलकना चाहिये। मनोहर पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री हैं तथा देश की सीमाओं के लिये खतरा बढ़ता ही जा रहा है।

पाकिस्तानी घुसपैठ पर आज तक न तो रोक लग पाई और न ही देश की सीमाओं की हिफाजत करने वाले भारतीय सैनिकों के दुश्मन देश द्वारा संहार का सिलसिला रुक पा रहा है। साथ ही चीन जैसे शातिर पड़ोसी देश की कुटिलता में ही किसी तरह की कमी आ पाई।

ऐसे में रक्षामंत्री ने क्या अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन को सिर्फ बयानबाजी की रस्म अदायगी तक सीमित कर लिया है, यह सवाल उठना स्वाभाविक है। चाहे हिंदू हों या मुस्लिम, सिख हों या ईसाई या किसी भी जाति वर्ग या क्षेत्र के लोग हों।

सब के सब प्रतिबद्ध एवं गौरवान्वित भारतीय की तरह भारत में रह रहे हैं तथा राष्ट्रीयत्व से संबंधित जिम्मेदारियों का निर्वहन भी उनके द्वारा यथासंभव ढंग से किया जा रहा है। फिर किसी को भी देशभक्ति के मामले में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर से किसी तरह का प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता क्यों पड़ेगी, इस मुद्दे पर भी गंभीरता पूर्वक ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

जहां तक असहिष्णुता के संदर्भ में फिल्म अभिनेता आमिर खान के नजरिये का सवाल है तो वैसे वह भी भारतीय नागरिक हैं तथा किसी भी मुद्दे पर अपनी बात कहने संबंधी अभिव्यक्ति की उतनी ही स्वतंत्रता उनको भी है, जितनी कि अन्य भारवासियों को है।

लेकिन वैसे आमिर खान की बातों को आवश्यकता से अधिक तवज्जो देने का कोई औचित्य नहीं है। क्यों कि वह फिल्म अभिनेता हैं और फिल्मों में काम करने वाले लोगों की रील लाइफ और रियरल लाइफ में कितना फर्क होता है, यह तो जग जाहिर ही है।

फिल्म अभिनेता आमिर खान हों या अमिताभ बच्चन। फिल्मों में काम करने वाले लोगों की मानसिकता पूरी तरह पेशेवर होती है। वह पैसे के लिये कब नाच लेंगे, कब गा लेंगे। कब हंस लेंगे कब रो लेंगे। कब वस्त्र उतार देंगे और कब पहन लेंगे। उनका कुछ ठिकाना नहीं हैं और न ही उनकी सोच का कोई स्थायित्व होता है।

अगर आमिर खान को देश में रहने में इतनी ही दिक्कत है तो उन्हें देश छोडक़र जाने दिया जाए। वह चाहे पाकिस्तान में बस जाएं या बंगलादेश में। फिर उसके बाद उनको समझ में आ जायेगा कि उनके फिल्मी व्यावसायिक उद्देश्यों को पूरा करने में भारत की सरजमीं उनके लिये कितनी मुफीद थी।

भारत के किसी भी जाति या किसी भी संप्रदाय के लोग हों, कोई भी फिल्म अभिनेता उनकी सोच का परिपूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। ऐसे में आमिर खान की बातों को आधार बनाकर रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर या अन्य किसी को भी इतना ज्यादा विवाद खड़ा करने की जरूरत नहीं है।

रक्षामंत्री को चाहिये कि वह विवादों के समंदर में गोता लगाने के बजाय रक्षा मंत्रालय की अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही ढंग से करें। बाकी सहिष्णुता एवं असहिष्णुता के मुद्दे पर उनकी सरकार या उनकी पार्टी के नेताओं की कथनी, करनी व सोच-संस्कार कैसे हैं, यह देश के लोग देख व समझ रहे हैं तथा उपयुक्त अवसर आने पर उसका मूल्यांकन भी कर दिया जाएगा।

: सुधांशु द्विवेदी