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तब साहब केंचुआ बताकर छोड गए थे पिस्सू! - Sabguru News
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तब साहब केंचुआ बताकर छोड गए थे पिस्सू!

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सिरोही। साहब की सभा एक परंपरा है सिरोही के चुनावों के लिए। जब चुनाव प्रचार का अंतिम दिन होता है तो साहब किसी न किसी चैराहे पर मजमा जमाते हैं। लोग उन्हें बडे ध्यान से सुनते भी हैं। चुनाव चाहे विधानसभा का हो या लोकसभा का या फिर नगर निकाय का, साहब सभा जरूर करते हैं, पिछले नगर निकाय चुनाव में भी हुई थी।

गुरुवार को चुनाव प्रचार का अंतिम दिन था। सबको साहब की सभा का इंतजार था। दिन बीता, शाम हुई और रात भी बीतने लगी तो लोगों के मन में सवाल उठा कि आखिर सहाब आखिर बोले क्यों नहीं। बकैत भी घूमता हुआ पान की गिलोरी चबाने के लिए जब चैरोहे बाजी के लिए पहुंचा तो कुछ चुहडों का जमावडा मिल गया। बडी गंभीर चर्चा में व्यस्त थे सब। पेशानी पर चिंता की लकीर, हाथों को हाथ में बांधे पांव के अंगूठे से जमीन को खोद देने की मंशा से पूरा जोर लगाते हुए गहन मुद्रा में देख बकैत ने पूछा भाई क्या सोच रहे हो। तो एक चुहड बोला, यार बकैत शहर को चुनाव से पहले साहब की सभा की आदत हो गई है। पर साहब हैं कि आज आए ही नहीं, ऐसा क्यों। सवाल गंभीर था। बकैत भी सोचने लगा।

इतने में वहां से गुजरता एक और चुहड ने पांच साल से शहर की बर्बादी का दर्द बयां करते हुए कहा कि पांच साल पहले साहब शहर में पिस्सुओं को केंचुआ बताकर छोड गए थे, उन्होंने उनकी पार्टी की राजनीतिक जमीन को उपजाउ तो नहीं किया, लेकिन शहर का खून बहुत पिया। अब सोचिए ऐसी स्थिति में आधे आबाद सरजावाव दरवाजे के सामने  साहब कैसे खुदकी उपलब्धियों का बखान करते। जवाब वाजिब था तो बकैत की बकैती बंद हो गई और वहां खडे चुहड अपनी चुहडबाजी भूल गए, लेकिन खामोश खडा सरजावाव दरवाजा आज भी यहीं सवाल साहब से पूछने के लिए तरस रहा है कि केचुओं के नाम पर पिस्सु सिरोही को क्यों सौप गए। छोडा भी तो यह जानने के बाद हमें बचाने के लिए इनका उपचार क्यों नहीं किया।

कपंनी हुई सक्रिय
दो दशकों से शहर में कंपनी का आधिपत्य है। फिर नगर परिषद चुनाव की दस्तक हुई तो नानुकुर करते हुए भी आखिर फिर से परिषद पर काबिज होने की कंपनी की इच्छा जाग गई। ऐसे में पैलेस रोड के उत्तरी हिस्से की छह सीटों पर अपना कब्जा जमाने के लिए कंपनी बुधवार से ही सक्रिय हो गई। जब बकैत बुधवार रात को इन इलाकों में घूमने निकला तो कंपनी के सदस्य इन इलाकों में रात्रि को नजर आने लगे।

इतना ही नहीं पैसा बहा तो कंपनी के समर्थित प्रत्याशी भी एकाएक वार्ड की दीवारों और गलियों में चमकने लगे। इधर, पुरानी कंपनी की सफलता को देखते हुए कुछ नई कंपनियां भी बन गई। इनमें भूमि-तस्कर और ब्याज पर पैसा देने वाले कुछ लोग शामिल है। इनका एक दाव पैलेस रोड के उत्तरी हिस्से के वार्ड में हैं तो तीन प्रत्याशी दक्षिणी हिस्से वाले वार्डो में। वैसे दोनों ही कंपनी के लोगों को मतदाताओं ने भांप लिया है और एक वार्ड को छोडकर शेष वार्डों में इन कंपनियों के प्रत्याशी लगभग वेंटीलेटर पर चल रहे है।

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