सबगुरु न्यूज- सिरोही। नगर परिषद क्षेत्र के बहुचर्चित खसरा संख्या 1218 में उपखण्ड अधिकारी सिरोही लम्बे अर्से से जांच अटकाए रहे, लेकिन तहसीलदार सिरोही ने इस मामले में दो महीने में ही फैसला कर दिया और सोमवार इस खसरे के 12 अतिक्रमियों को एक माह की कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है।
इस खसरा संख्या में कथित रूप से सिरोही के वर्तमान सभापति ताराराम माली और पूर्व आयुक्त लालसिंह राणावत ने अनियमित तरीके से पट्टे दिए थे। इसकी शिकायत जिला कलक्टर को करने पर उन्होंने इसकी जांच सिरोही उपखण्ड अधिकारी ओमप्रकाश विश्नोई को दी थी, लेकिन उपखण्ड अधिकारी इसकी जांच को लम्बे समय तक अटकाए रहे।
इसकी शिकायत जब प्रभारी सचिव सिरोही को की गई तो उन्होंने इस प्रकरण में हो रही देरी के लिए सिरोही उपखण्ड अधिकारी को खरी-खरी भी सुनाई थी। बाद में इस प्रकरण को लेकर प्रशासन की बिगडती छवि को लेकर देखते हुए सिरोही कलक्टर ने इसकी जांच उपखण्ड अधिकारी सिरोही से वापस ले ली थी।
फिलहाल, इस प्रकरण में सिरोही उपखण्ड अधिकारी विरेन्द्रसिंह भाटी ने संज्ञान लेते हुए इस खसरे पर काबिज 12 अतिक्रमियों को एक साल का कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई है। वैसे इस खसरे के दो अतिक्रमी अभी भी प्रशासन की जद से बाहर हैं, इनके पटटे तहसीलदार की नजर से नहीं गुजरे।
तहसीलदार ने पिछले एक सप्ताह में सिरोही प्रथम और सिरोही द्वितीय पर काबिज 28 अतिक्रमियों को सजा सुनाई है। खसरा संख्या 1218, 3015 व 3016 में तो शहर के सत्ताधारी भाजपा के नामचीन लोगों के रिश्तेदार शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि सबगुरु न्यूज खसरा नम्बर 1218 के प्रकरण को निरंतर उठा रहा है। और पट्टा जारी होने के बाद सभी पट्टाधारियों ने आदर्श नगर मार्ग पर स्थित खसरा संख्या 1218 पर फिर से कब्जा कर लिया है।
यह चूक गए 1218 में
सबगुरु न्यूज के पास खसरा संख्या 1218 के 14 अतिक्रमियों की सूचना है, जबकि तहसीलदार की ओर से 12 ही अतिक्रमियों की सूचना होने के कारण उन्होंने इन्हें ही भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 के तहत सजा सुनाई है।
इनमें सिरोही निवासी मंजूदेवी पत्नी रमेशकुमार घांची, अमृतलाल पुत्र गणेशाराम माली, शांतिदेवी पत्नी जोगाराम घांची, सरोजदेवी पत्नी शंकरलाल घांची, लहरीदेवी पत्नी लालाराम घांची, सीतादेवी पत्नी धनराज घांची, गोपाल पुत्र सुपटाराम पटेल, पुष्पादेवी पत्नी सीताराम माली, मोहनलाल पुत्र ओटाराम सुथार, दिलीपसिंह पुत्र मूलसिंह राजपूत, सीतादेवी पत्नी दरगाराम माली तथा गंगादेवी पत्नी वगतसिंह परिहार शामिल है। इनमें भी भाजपा के प्रमुख पदाधिकारी की रिश्तेदार शामिल हैं।
वहीं इसी खसरा संख्या 1218 में दो अन्य पट्टेदार चुन्नीलाल माली और सीतादेवी माली का प्रकरण सामने नहीं आ पाया। इन्हें 31 जनवरी 2015 को क्रमश: पटï्टा संख्या 277 तथा 29 जारी किया गया है और इसकी सिरोही रजिस्ट्रार ऑफिस में 15 जनवरी, 2015 को क्रमश: डॉक्यूमेंट संख्या 2015000220 तथा 2015000221से रजिस्ट्री हुई है।
पूर्व कलक्टर ने तुडवाए थे कब्जे
खसरा संख्या 1218 पर 6 जनवरी, 2013 की शाम को कब्जा हो रहा था। इस पर सीमेंटेड ईंटों से बाउंड्री की जा रही थी। इसकी सूचना जब तत्कालीन कलक्टर एमएस काला को मिली तो उन्होंने अपनी दृढ इच्छाशक्ति दिखाते हुए तत्कालीन नगर परिषद आयुक्त शिवपालसिंह व जेईएन पीएल गोसाई को मौके पर भेजा।
उन्होंने उसी क्षण यह अतिक्रमण रुकवाया। दूसरे दिन 7 जनवरी को जेसीबी, पटवारी व आरआई के साथ में जाकर शिवपालसिंह व जेईएन पीएल गोसाई ने इस अतिक्रमण को धराशायी कर दिया था।
मीणावास के हिन्दु श्मशान के पास इनको कब्जे पर सजा
मीणावास के आसपास सिरोही पटवार हल्का संख्या द्वितीय है। इसके खसरा संख्या 3015 और 3016 के अतिक्रमियों को भी सजा सुनाई गई है।
इनमें गणेश व मनोज पुत्र लालाराम व अन्य, मोहन व प्रकाश पुत्र थानाराम माली व अन्य, भंवरीदेवी पत्नी ताराराम माली, चुन्नीलाल पुत्र केसाराम माली, प्रकाश पुत्र चुन्नीलाल माली व अन्य, रामलाल पुत्र मगाराम माली, सोहनलाल पुत्र मीठालाल माली, मोहन पुत्र भूबाराम माली, सुरेश पुत्र शंकरलाल माली, धनाराम पुत्र भीखाराम माली, दौलाराम पुत्र रामराम माली, श्रीमती निरमा पत्नी कन्हैयालाल माली तथा रावता राम पुत्र जीवाराम रेबारी शामिल हैं।
एक इत्तेफाक यह भी है कि दौलाराम पुत्र रामाजी माली नाम के ही कुछ दिनों पहले खांचा भूमि भी आबंटित की गई है। इनमें भी शहर के कई नामचीन व सफेदपोश लोग शामिल हैं।
ओटाराम देवासी ने उठाया था विधानसभा में सवाल
इस खसरा संख्या 1218 के संदिग्ध नोटिसों को लेकर वर्तमान प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी ने कांग्रेस शासन में विधानसभा में भी सवाल किया था, लेकिन जैसे ही वह प्रभारी मंत्री बने सबसे पहले इसी खसरे की ओर ध्यान नहीं दिया। जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें (https://www.sabguru.com/khasara-no-1218-may-ruin-reputation-of-vasundhara-government/) इसमें भाजपा के एक प्रमुख पदाधिकारी के रिश्तेदार का भी नाम सामने आ रहा है। आप पढ रहे हैं sabguru.com। उस समय देवासी यह आरोप लगाते रहे कि कांग्रेस का शासन होने पर उनकी सुनवाई नहीं होती, लेकिन भाजपा के शासन में भी इस मामले में कार्रवाई नहीं हो पाने से अब वह जनता की अदालत में कटघरे में खडे हो गए हैं।
भाजपाई नेता ही लगे थे पीछे!
भाजपा में अजब कशमकश चल रही है। खसरा संख्या 1218 तथा अन्य मामलों में भाजपा के नेता के रिश्तेदार शामिल होने के कारण सिरोही भाजपा के ही दो प्रमुख पदाधिकारी ही उन्हें निपटाने के लिए लगे हुए थे।
सोशल मीडिया, अधिकारियों व मीडिया के लोगों को इसी बात के लिए उकसाते रहते थे ताकि इस खसरे में अतिक्रमण करने वाले भाजपा के पदाधिकारी के रिश्तेदार के बहाने ये भाजपाई अपना कांटा साफ कर सकें।
सच होते दिख रहे हैं लोढा के आरोप
पूर्व विधायक संयम लोढा ने छह फरवरी को सिरोही के सरजावाव दरवाजे पर हुई आम सभा में सिरोही के भाजपा बोर्ड पर शहर की जमीनों को बेच खाने का आरोप लगाया था।
तहसीलदार की ओर से जिन लोगों को सजा सुनाई गई है उनमें शामिल नामों को देखते हुए तो यही लग रहा है कि वाकई भाजपा ने शहरवासियों के हित और भावी सरकारी योजनाओं के लिए रखी गई जमीनों को खुर्दबुर्द करना शुरू कर दिया है।
एसीबी में भी मामला
खसरा संख्या 1218 का प्रकरण एसीबी में भी दर्ज किया गया है, लेकिन वहां की जांचें कछुआ चाल चलती है। इतना ही नहीं नगर परिषदों के मामलों में एसीबी जिस तरह से लापरवाही करती है, उससे वो संदेहास्पद भी लगती है। वैसे भी राजस्थान हाईकोर्ट एसीबी की निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगा चुका है।
इनका कहना हैै…
भू राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत खसरा संख्या 1218, 3015 व 3016 के करीब 28 अतिक्रमियों को सजा दी गई है।
विरेन्द्रसिंह भाटी तहसीलदार, सिरोही।