जगदलपुर। पिछले 48 साल के खूनी नक्सल इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी नक्सली नेता ने सरकार की तारीफ की है।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के महासचिव गणपति ने भी नोटबंदी को लेकर चुप्पी तोड़ी है।
फैसले से जुड़ी नीयत की तारीफ करते हुए कहा है कि अगर मोदी सरकार छापे मारकर, गरीबों का धन लूटकर, अमीर बने धन्ना सेठों को जेल में ठूंस दे तो, नक्सली हथियार फेक देंगे। हम हिंसा का रास्ता छोडक़र मुख्यधारा में शामिल हो सकते हैं।
शिक्षा में साइंस से ग्रेजुएट, मगर दामन पर सैकड़ों हत्याओं का दाग, सिर पर तीन करोड़ 60 लाख का इनाम। 37 वर्षों से पुलिस ढूंढने में नाकाम।
इनाम राशि के आधार पर देखें तो जंगलों में छिपा नक्सलियों का यह नेता दाउद से भी खतरनाक है, नाम है गणपति। वर्ष 1979 में करीमपुर में आखिरी बार गणपति को किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में देखा गया था।
कई नक्सली वारदातों में सैकड़ों लोगों की जान लेने पर जब छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश की सरकार ने गिरफ्तारी के लिए इनाम रखना शुरू किया तो, गणपति भूमिगत हो गया।
तब से गणपति की लोकेशन आज तक नक्सली हिंसा से जूझ रहे राज्यों की पुलिस तलाश नहीं पाई। जब कभी कोई बयान सार्वजनिक करना पड़ता है तो, कामरेड गणपित भरोसेमंद पत्रकारों को इंटरव्यू देता है। यह संगठन अंडरग्राउंड संचालित होता है।