नई दिल्ली। भारत में विवाह को पवित्र बंधन माना जाता है इसलिए यहां यह अवधारणा लागू नहीं की जा सकती। इसलिए सरकार ने वैवाहिक बलात्कार को कानूनन अपराध बनाने से इनकार कर दिया है।
उसके मुताबिक, भारत में विवाह को पवित्र बंधन माना जाता है इसलिए यहां यह अवधारणा लागू नहीं की जा सकती। संसद में इस मुद्दे पर गृह राज्यमंत्री हरिभाई पारथीभाई चौधरी द्वारा दिए गए इस बयान से एक बार फिर से बहस शुरू हो गई।
कई महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार के इस इनकार को प्रतिगामी (अनुचित) करार दिया है, जबकि कुछ विशेषज्ञों ने केंद्र के इस रुख पर सहमति जताई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कानून से छेड़छाड़ करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इसका दुरुपयोग हो सकता है। इसके साथ ही इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का समर्थन भी नहीं मिला है।
कुछ महिला संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सरकार का नेतृत्व वह लोग कर रहे हैं जिनकी सोच महिला विरोधी है। हमारी सरकार रुढ़िवादी, समाज विरोधी और पीछे की ओर देखने वाली है। वहीं कुछ न्यायविदों ने इस मुद्दे का समर्थन नहीं किया।
उनका कहना है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाया जाना आज के परिदृश्य में खतरनाक साबित होगा, क्योंकि आज महिलाओं द्वारा पतियों और ससुराल के लोगों को झूठा फंसाए जाने के काफी अधिक उदाहरण सामने आ रहे हैं।
इसके साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों एसएन ढींगरा और आरएस सोढी का भी यह कहना है कि महिलाओं द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की 2011 प्रोग्रेस ऑफ द वर्ल्ड वुमन इन पर्सूट ऑफ जस्टिस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, डेनमार्क और फ्रांस सहित 52 देशों में वैवाहिक बलात्कार अपराध है।