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महाशिवरात्रि पर शिव बने दूल्हा, भूत-प्रेत और पिशाच बाराती - Sabguru News
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महाशिवरात्रि पर शिव बने दूल्हा, भूत-प्रेत और पिशाच बाराती

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महाशिवरात्रि पर शिव बने दूल्हा, भूत-प्रेत और पिशाच बाराती
marriage procession of lord shiva during maha shivaratri in varanasi
marriage procession of lord shiva during maha shivaratri in varanasi
marriage procession of lord shiva during maha shivaratri in varanasi

वाराणसी। त्रैलोक्य नगरी काशी में सोमवार को महाशिवरात्रि पर्व पर चहुंओर अदभुत नजारा रहा। अपने आराध्य बाबा विश्वनाथ और आदिशक्ति के मिलन की घड़ी का साक्षी बनने का भाव समेटे और उनके शादी शिवबारात में शामिल होने के लिए भूत, प्रेत, जिन्न, जानवर और देवी-देवता के प्रतीक के साथ नागरिकों का सैलाब उमड़ पड़ा।

इस दौरान क्या आम और क्या खास सारी दीवार बाबा के अनुराग और आस्था के आगे ढ़ह गयी, चहुंओर रहा तो हर हर महादेव काशी विश्वनाथ शम्भों का कालजयी उद्घोष।

परम्परानुसार महाशिवरात्रि की शाम नगर के कई क्षेत्रो से धूमधाम से बाबा की बारात निकाली गयी। इस क्रम में शिव बारात समिति के अगुवाई में दारानगर स्थित महामृत्युजंय मंदिर से बाबा की बारात निकली।

इसमें दुल्हा नगर के जाने माने साहित्यकार पं धर्मशील चर्तुवेदी बने तो सहबाला हास्य व्यंग्य के धुरंधर साढ़ बनारसी उर्फ सुदामा तिवारी। दुल्हन की भूमिका में रहे नगर की गंगा जमुनी तहजीब के प्रतीक के रूप में अतीक अंसारी।

बारात काशी बचाओ काशी बचाओ थीम पर रही। इस दौरान बारात में भूत, प्रेत, जिन्न, राक्षस, दिव्यांग, भिखारी और देवताओ के स्वरूप, हाथी घोड़े,उट, लाग, विमान,मुखौटा पहन तलवार बाजी,आतिशबाजी भी आर्कषण का केन्द्र बनी रही।

बारात परम्परागत रास्तों से डेढ़सी के पुल तक पहुंच कर समाप्त हुई। इसी क्रम में तिल भांडेश्वर मंदिर, धूपचण्डी और अन्य क्षेत्रों से भी बारात निकली।

तिलभांडेश्वर से निकली बारात में जिस तरह दूल्हा जब बारात लेकर निकलता है, तो घर की महिलाएं दूल्हे का परछन करती हैं, ठीक उसी तरह क्षेत्रीय महिलाओं ने बाबा के प्रतीक का परछन किया। बारात मंदिर से निकल कर सोनारपुरा, हरिश्चंद्र घाट, केदार घाट पहुंच कर समाप्त हुई।

इस दौरान सड़क के किनारे दोनो तरफ बच्चे महिलाओं युवाओं की भारी भीड़ बारात देखने के लिए जुटी रही। काशी में महादेव की इस अलौकिक बारात के दृश्य का गवाह बनने के लिए मानो स्वर्ग के सभी देवता धरती पर उतर आए हों और स्वयं बाबा की बारात की अगुवाई कर रहे हों, ऐसा माना जाता है।

इस दौरान ढोल व बाजे के साथ बारात में शामिल सभी बाराती नाचते हुए जा रहे थे। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुज़र रही इस बारात का काशी के हर धर्म व जाति के लोगों ने पुष्प अर्पित कर स्वागत किया।

तिलभांडेश्वर शिव बारात महासमिति के अध्यक्ष रामबाबू यादव ने बताया कि भोले शंकर को औघड़ दानी भी कहा जाता है इसलिए उनके बारात में भूत, प्रेत, पिशाच सब शामिल हुए हैं।