बीएस-3 वाहन बंद होने के बाद फेम (फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्यूफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) इंडिया स्कीम में भी बदलाव होने जा रहा है। नए नियमों के अनुसार माइल्ड-हाइब्रिड टेक्नोलॉजी वाली कारों पर कंपनियों को अब किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।
नए कदमों के तहत अब केवल फुली हाइब्रिड कारों को ही इस योजना का लाभ मिलेगा। फुली हाइब्रिड कारें वे कारें होती हैं, जो पारंपरिक इंजन के अलावा इलेक्ट्रिक मोटर से भी चलती हैं। इनके अलावा प्लग-इन हाइब्रिड और प्योर इलेक्ट्रिक कारें ही फेम इंडियी स्कीम के तहत प्रोत्साहन के दायरे में आएंगी।
इस फैसले का सीधा असर मारूति की लोकप्रिय कार सियाज़ और अर्टिगा पर पड़ेगा। इन दोनों ही कारों में एसएचवीएस (सुज़ुकी की स्मार्ट हाइब्रिड व्हीकल) टेक्नोलॉजी का विकल्प आता है, दूसरे शब्दों में कहें तो ये दोनों ही माइल्ड-हाइब्रिड टेक्नोलॉजी वाली कारें हैं।
माइल्ड-हाइब्रिड कारों में इलेक्ट्रिक मोटर तो होती है लेकिन ये पूरी तरह से इलेक्ट्रिक मोड में नहीं चलती हैं, ये केवल इंजन के साथ काम करती है, इन में ब्रेक लगाने के दौरान पैदा हुई ऊर्जा से बैटरी को चार्ज मिलता है और माइलेज बढ़ जाता है।
पहले इन दोनों कारों पर 13 हजार रूपए का प्रोत्साहन मिलता था, जिससे यह ग्राहकों को सस्ती भी पड़ती थीं और इनका माइलेज़ भी ज्यादा होता था। अब 31 मार्च के बाद से मारूति की एसएचवीएस टेक्नोलॉजी वाली कारों पर प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय ने नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान (एनईएचएचपी) के तहत 1 अप्रैल 2015 को फेम इंडिया की शुरूआत की थी। इस योजना को शुरू करने का मकसद देश में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों को बढ़ावा देना था। इस योजना के चार चरण है, जिस में पहला टेक्नोलॉजी तैयार करना, दूसरा मांग बढ़ाना, तीसरा पायलट प्रोजेक्ट शुरू करना और चौथा ऐसे वाहनों के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना है।
वैसे देखा जाए तो 7 लाख रूपए से ज्यादा कीमत वाली कारों के दामों में 13 हजार रूपए की वृद्धि ज्यादा मायने नहीं रखती है। एसएचवीएस टेक्नोलॉजी वाली अर्टिगा और सियाज़ में सेगमेंट की दूसरी कारों से ज्यादा माइलेज मिलता है। अर्टिगा डीज़ल के माइलेज का दावा 24.52 किमी प्रति लीटर और सियाज़ डीज़ल के माइलेज का दावा 28.09 किमी प्रति लीटर है। ज्यादा माइलेज की वजह से ग्राहकों पर इस कीमत बढ़ोतरी का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। संभावना है कि हुंडई की जल्द आने वाली नई वरना सेडान भी माइल्ड-हाइब्रिड टेक्नोलॉजी से लैस होगी। हालांकि इस निर्णय के बाद हुंडई अपनी रणनीति में कुछ बदलाव भी कर सकती है।
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