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massive setback to Congress vice-president rahul gandhi
Home Delhi अपने ही शब्द-जाल में फंस गए राहुल गांधी, भारी पड रही महापंडिताई!

अपने ही शब्द-जाल में फंस गए राहुल गांधी, भारी पड रही महापंडिताई!

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अपने ही शब्द-जाल में फंस गए राहुल गांधी, भारी पड रही महापंडिताई!
Defamation case against rahul gandhi blaming rss for Mahatma Gandhi's assassination
Defamation case against rahul gandhi blaming rss for Mahatma Gandhi's assassination
Defamation case against rahul gandhi blaming rss for Mahatma Gandhi’s assassination

नेहरु राजवंश के युवराज राहुल गांधी अपने ही शब्द-जाल में फंस गए हैं। मार्च 2014 में देश को चुनाव का बुखार चढ़ा हुआ था। महाराष्ट्र की एक सभा में उन्होंने एक जुमला दे मारा। उन्हें यह बुरा लगा कि नरेंद्र मोदी-जैसा आदमी अपनी सभाओं में गांधी और पटेल की दुहाई दे रहा है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह कट्टर कार्यकर्ता ये पैंतरे इसलिए अपना रहा है कि इसे वोट कबाड़ने हैं। सो राजनीति और इतिहास के महापंडित ने एक घिसा-पिटा जुमला उछाल दिया कि ”जिस आरएसएस के लोगों ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, आज वे ही लोग उनकी बात कर रहे हैं।”

यह जुमला हजारों बार हमारे कांग्रेसी और कम्युनिस्ट नेता उछाल चुके हैं लेकिन इस बार बेचारे राहुल बाबा फंस गए। उन पर मुकदमा दर्ज हो चुका है, संघ की मानहानि का! इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल से कहा है कि अपनी गलतबयानी पर वह माफी मांगे, वरना उस पर बाकायदा मुकदमा चलेगा। राहुल ने और कांग्रेस प्रवक्ता ने माफी मांगने से साफ इंकार कर दिया है।

प्रवक्ता का कहना है कि राहुलजी ”बहुत ही सुलझे हुए और परिपक्व नेता हैं और उन्हें इतिहास की बारीकियों की गहरी समझ हैं।” उनकी राय कांग्रेस की राय है। जो जवान दुनिया की किसी भी भाषा- इतालवी, हिंदी या अंग्रेजी- के चार वाक्य भी लगातार शुद्ध और सार्थक नहीं बोल सकता है, उसके बारे में इतनी ऊंची राय रखने का मतलब तो आप समझ ही गए होंगे।

इसका उल्टा मतलब यह है कि गांधी-हत्या के बारे में फैसला देने वाले जजों, खोसला आयोग और वर्तमान सर्वोच्च न्यायालयों के जजों का ज्ञान, राहुलजी के ज्ञान के आगे फीका है। उन सबने यह माना था कि गांधी की हत्या गोड़से ने की थी, संघ का उससे कुछ लेना-देना नहीं था।

अब राहुलजी और उनके वकील अदालत में एड़ी-चोटी का जोर लगाएंगे और यह सिद्ध करने की कोशिश करेंगे कि संघ ने ही गोड़से के हाथों गांधीजी को मरवाया था। महापंडित राहुलजी अब इतिहास को शीर्षासन करवाएंगे। समझ में नहीं आता कि अदालत ने उनके लिए जो चोर-गली निकाली है, उससे वे क्यों नहीं निकल भागते? पता नहीं, वे आजकल किससे मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं? वे अपनी ‘महापंडिताई’ पर अदालत की मुहर क्यों लगवाना चाहते हैं?

डा. वेद प्रताप वैदिक