इस्लामाबाद। पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने मुंबई हमले के मुख्य आरोपी और आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के शीर्ष कमांडर जकीउर रहमान लखवी को गुरूवार को जमानत दे दी।
पाकिस्तान की सरकार ने कहा है कि लखवी को जमानत मिलना तकनीकी भूल है और वह इसका विरोध करेंगे। सरकार ने कहा कि पेशावर आतंकवादी हमले और वकीलों के हड़ताल पर होने के कारण इस मामले पर बहस ही नहीं हुई।
लखवी के वकील रिजवान अव्बासी ने जमानत याचिका दायर की लेकिन फेडरल इनवेस्टिगेशन एजेंसी के वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया। अदालत ने पांच लाख के मुचलके पर लखवी को जमानत पर रिहा करने का फैसला सुनाया।
लखवी को जमानत ऎसे वक्त पर दी गई है जब इससे दो दिन पहले पेशावर के एक आर्मी स्कूल में तालिबान के हमले में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। एक पत्रकार डेनियल हसन ने डान अखबार को कहा कि लखवी को जमानत दे दी गई है लेकिन सरकार इसका कड़ा विरोध करती है। यह फैसला बहुत गलत समय पर आया है।
उन्होंने यह भी कहा कि जमानत की कुछ अन्य शर्ते भी है जिसके तहत लखवी को पाकिस्तान के बाहर जाने और कोई भी रैली या सभा को संबोधित करने की इजाजत नहीं है।
गौरतलब है कि भारत हमेशा यह कहता रहा है कि लखवी 26 नवंबर 2008 को भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की योजना बनाने और हमले में मदद करने वाले सात आरोपियों में से एक है।
मुंबई हमले के अन्य छह आरोपी हम्माद अमीन सादिक, शाहिदजमील रियाज, यूनुस अंजुम, जमील अहमद, मजहर इकबाल और अब्दुल माजिद जेल में ही रहकर मामले की सुनवाई का सामना कर रहे है। इन छह आरोपियों की जमानत याचिका पर भी जल्द सुनवायी होनी है।
लखवी पर जरर शाह के साथ मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है। मुंबई हमले में 166 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले की सुनवाई वर्ष 2009 में रावलपिंडी की आतंकरोधी अदालत में शुरू हुई थी और अगले वर्ष ही यह मामला इस्लामाबाद स्थानांतरित कर दिया गया।
इस वर्ष अप्रेल में इस मामले में तब गतिरोध आया जब आतंकरोधी अदालत के विशेष न्यायाधीश ने सुरक्षा कारणों से सातों संदिग्ध आरोपियों पर मामला चलाने से खुद को अलग करने की इच्छा जताई।