जयपुर। कॉलेज शिक्षा विभाग से शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए आने वाले वर्ष में नई स्थानान्तरण नीति आ सकती है। कॉलेज शिक्षा विभाग ने स्थानांतरण नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।
इस पर 31 दिसम्बर तक सुझाव मांगे गए हैं। इसके अनुसार अब हर साल एक अप्रैल से प्रदेश के कॉलेज शिक्षा के शैक्षणिक अधिकारियों की स्थानान्तरण प्रक्रिया शुरू होगी। यह नीति कॉलेज शिक्षा विभाग की स्थानान्तरण नीति के नाम से जानी जाएगी और पूरे प्रदेश में कॉलेज शिक्षा विभाग के अधीन सभी व्याख्याता, शारीरिक शिक्षक, पुस्तकालाध्यक्ष, उपाचार्य और प्राचार्य पर लागू होगी।
आयुक्त कॉलेज शिक्षा ने नीति के अनुसार प्रदेशभर में तबादलों के लिए एक निश्चित तिथि तय की है। ड्राफ्ट में प्रस्तावित नीति के अनुसार हर साल एक अप्रैल को प्रदेश के महाविद्यालयों में रिक्त पदों की सूची का प्रकाशन महाविद्यालयवार और विषयवार किया जाएगा। इसके बाद रिक्त पदों के अनुसार 1 से 20 अप्रेल तक आवेदन पत्र प्राप्त किए जाएंगे।
21 से 30 अप्रैल तक आवेदन पत्रों की संवीक्षा की जाएगी और 1 जून को आवेदनों के आधार पर वरीयता सूची जारी कर दी जाएगी। 2 से 7 जून तक सूची पर आपत्तियां मांगी जाएगी और आपत्तियों का निस्तारण कर 15 जून को सूची जारी कर दी जाएगी। इससे 1 जुलाई से शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही पढाई भी सुचारू रूप से शुरू हो सकेगी।
ड्राफ्ट के अनुसार स्थानान्तरण आदेश पदों के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी कर सकेंगे, जिससे सरकार का सीधा हस्तक्षेप बंद होगा। आवेदन के आधार पर वरीयता सूची में आने वाले शैक्षणिक अधिकारियों के ही तबादले हो सकेंगे। व्याख्याता, शारीरिक शिक्षक, पुस्तकालायाध्यक्ष के तबादले करने के लिए आयुक्त कॉलेज शिक्षा एवं पदेन विशिष्ट शासन सचिव उच्च शिक्षा सक्षम होंगे।
प्राचार्य और उपाचार्य के लिए प्रमुख शासन सचिव एवं शासन सचिव उच्च शिक्षा सक्षम होंगे। इस नीति के तहत जिन व्याख्याताओं ने एक ही महाविद्यालय में 1अप्रैल तक 10 वर्ष की कार्य अवधि पूर्ण कर ली है, उनका तबादला अनिवार्य रूप से होगा। साथ ही जिन व्याख्याताओं की सेवानिवृत्ति में दो ही साल शेष होंगे। ऐसे कार्मिकों का तबादला नहीं किया जाएगा। साथ ही परीक्षा परिणाम भी तबादले का आधार बनेंगे।