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Mayawati to give tickets to the Ansari brothers and their family members
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मायावती ने अंसारी बंधुओं को दिए तीन टिकट!

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मायावती ने अंसारी बंधुओं को दिए तीन टिकट!

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लखनऊ। यूपी की सियासी फिजाओं में बाहुबली अंसारी बन्धुओं को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से टिकट मिलने की अटकलें बुधवार को सच साबित हो गईं। पार्टी द्वारा अंसारी बंधुओं को तीन टिकट दिए जाने की बात सामने आई है।

इसके लिए बसपा अध्यक्ष मायावती ने मऊ और गाजीपुर की विधानसभा क्षेत्र से तीन सीटों पर अपने घोषित प्रत्याशियों के टिकट काट दिए। उन्होंने मुख्तार अंसारी, सिबगतुल्ला अंसारी और मुख्तार अंसारी के बेटे को टिकट दिया है। मऊ सदर से मनोज राय का टिकट काटकर मुख्तार अंसारी को दिया गया है। मुख्तार इस सीट से अभी विधायक हैं।

मऊ की घोसी सीट से वसीम इक़बाल का टिकट काटकर मुख्तार का बेटे अब्बास अंसारी को प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं गाज़ीपुर की मोहम्दाबाद सीट से विनोद राय का टिकट काटकर मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्ला अंसारी का टिकट दिया गया है। सिबगतुल्ला अंसारी भी इस समय विधायक हैं।

दरअसल समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव को किनारे किए जाने के बाद ही अंसारी बन्धु नया ठिकाना तलाश रहे थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मऊ सीट पर प्रत्याशी उतारकर साफ कर दिया कि वह किसी तरह के समझौते की इच्छुक नहीं है।

इससे पहले अंसारी बन्धुओं को उम्मीद थी कि सपा उन्हें टिकट भले ही नहीं दे, लेकिन उनके गढ़ में अपने प्रत्याशी नहीं खड़े करेगी। सपा से निराश होने के बाद अंसारी बन्धुओं को बसपा सबसे उपयुक्त लगी। इसके लिए उन्होंने बसपा के एक कोऑर्डिनेटर को माध्यम बनाया और मायावती तक अपनी बात पहुंचाई। मायावती ने भी मौके की नजाकत को देखते हुए अंसारी बन्धुओं को टिकट देने पर हामी भर ली।

इससे पहले भी 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा मुख्तार अंसारी को वाराणसी से टिकट दे चुकी है। वहीं मौजूदा सियासी समीकरण में बसपा को अंसारी बन्धुओं को साथ लेने से गाजीपुर, मऊ, बलिया, वाराणसी सहित पूर्वांचल की अन्य सीटों पर लाभ मिलने की उम्मीद है।

खास बात है कि सपा के करीबी माने जाने वाले अंसारी बन्धुओं को पार्टी ने कभी अपना सिम्बल नहीं दिया, बल्कि बसपा ने जरूरी दरियादिली दिखाई है। गैंगस्टर से सफेदपोश बने मुख्तार अंसारी वर्तमान में लखनऊ जिला जेल में बन्द हैं। मुख्तार पर हत्या अवैध वसूली समेत कई आरोप हैं।

मुख्य रूप से वह भाजपा नेता कृष्णानन्द राय की हत्या के आरोपी हैं। वर्ष 2005 से लखनऊ सेंट्रल जेल में बन्द मुख्तार ने वर्ष 2007 और वर्ष 2012 में जेल से ही चुनाव लड़कर जीता। इससे पहले उन्होंने वर्ष 2002 और वर्ष 1996 में भी यहां जीत हासिल की थी।

मुख्तार अंसारी ने वर्ष 2002 और वर्ष 2007 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। इससे पहले वर्ष 1996 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वर्ष 2012 में उन्होंने कौमी एकता दल का गठन किया और मऊ सदर से चुनाव मैदान में उतरे। इस बार भी उन्हें जीत हासिल हुई, उन्होंने सपा के उम्मीदवार अल्ताफ अंसारी को हराया था।

अंसारी बन्धुओं को टिकट दिए जाने के बाद मायावती एक बार फिर राजनीति में अपराधीकरण का विरोध करने के अपने दावों पर घिर गई हैं। मायावती कई बार मुख्तार को कोसती आई हैं और अब पार्टी ने अंसारी बन्धुओं को गले लगाने में देरी नहीं की। यहां तक की अपने प्रत्याशियों के टिकट काट दिए, ऐसे में विरोधी दलां को मायावती पर हमला करने का एक और मौका मिल गया है।