नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम के 13 वार्डों के लिए हुए उप चुनाव में नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा को झटका लगा है हालांकि वह तीन सीटें जीतने में कामयाब रही है। दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी साख बचाने में कामयाब रही है।
इन उप चुनावों में आप सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। आप को सबसे ज्यादा 5 सीटों पर सफलता मिली है लेकिन वह दिल्ली विधान सभा वाला प्रदर्शन दोहराने में यहां नाकाम रही है। कांग्रेस को चार सीटों पर जीत हासिल हुई है जो उसके लिए काफी राहत भरी है। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुआ है।
दिल्ली नगर निगम का यह उप चुनाव आप के लिए `लिटमस टेस्ट` माना जा रहां था क्योंकि जिन 13 वार्डों में नगर निगम के ये उप चुनाव हुए है उनमें से 12 वार्ड ऐसे हैं जहां आप के विधायक हैं।
आप सरकार के तमाम मंत्रियों और बड़े नेताओं ने विधानसभा वाला प्रदर्शन दोहराने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार किया लेकिन उन्हें विधानसभा जैसी सफलता तो नहीं मिली परन्तु इन उपचुनावों में 5 सीटें जीतकर सबसे आगे रहने का तमगा उन्होंने हासिल कर लिया।
बल्लीमारान, विकासनगर, मटियाला, नानकपुरा और तेहखण्ड में आप के उम्मीदवार विजयी हुए हैं। इन सीटों पर क्रमशः मोहम्मद सादिक, अशोक कुमार, रमेश, अनिल मलिक और अभिषेक बिधूड़ी विजयी हुए हैं।
दिल्ली नगर निगम में पिछले आठ साल से सत्तारूढ़ भाजपा को करार झटका लगा है। इस बार उप चुनाव में सिर्फ तीन सीटें शालीमार बाग (उत्तरी), वज़ीरपुर और नवादा ही मिलीं। इन सीटों पर क्रमशः बीएम भंडारी, महेंद्र नागपाल और कृष्णा गहलोत विजयी रहे।
इस तरह भाजपा के लिए यह चुनाव घाटे का सौदा रहा। हालांकि भाजपा के लिए थोड़ा सुकून देने वाली बात यह है कि 8 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही है।
नगर निगम की जिन सीटों पर उपचुनाव हुए उन इलाकों में ना तो लोकसभा ना ही विधानसभा और ना ही नगर निगम में ही कांग्रेस का कोई जीता हुआ प्रतिनिधि था। इस तरह इन उप चुनावों में कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही थी। उसने वार्ड स्तर पर जाकर खूब मशक्क्त की जिसका नतीजा यह हुआ कि वह चार सीटों पर जीत दर्ज़ करने में सफल रही।
कमरुद्दीन नगर, मुनिरका, खिचड़ीपुर और झिलमिल वार्डों पर उसके प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है। इन सीटों पर क्रमश: अशोक भरद्वाज, योगिता राठी, आनंद कुमार और पंकज ने जीत दर्ज़ की।
इनके अलावा भाटी माइंस वार्ड से निर्दलीय प्रत्याशी राजेंद्र तंवर जीते हैं। हालाँकि टिकट बंटवारे के समय कांग्रेस से उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह बागी होकर बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद पड़े।
हालाँकि माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम आने के बाद उनकी कांग्रेस में घर वापसी हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि साल 2012 में दिल्ली नगर निगम के सभी 272 वार्डों में चुनाव हुए थे। तब भाजपा को बहुमत हासिल हुआ था। 2013 से 2015 के बीच हुए दिल्ली विधानसभा के चुनावों के दौरान पार्षदों के विधायक बन जाने से उपरोक्त 13 सीटें रिक्त हुईं। दिल्ली हाई कोर्ट ने इन सीटों पर उप चुनाव कराने के आदेश दिए थे।