नई दिल्ली। भारत सरकार ने शुक्रवार को उद्योगपति विजय माल्या का पासपोर्ट निलंबित कर दिया। निलंबन प्रवर्तन निदेशालय की सलाह पर पासपोर्ट एक्ट के अधिनियम 10 के तहत किया गया है।
बैंकों के 9 हजार करोड़ रुपए का कर्ज न चुकाने के चलते उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा है। माना जा रहा है कि इस समय माल्या ब्रिटेन में हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय की सलाह पर विदेश मंत्रालय में पासपोर्ट जारी करने वाले प्राधिकारण ने आज 4 सप्ताह की अवधि के लिए तत्काल प्रभाव से विजय माल्या के राजनयिक पासपोर्ट की वैधता को निलंबित कर दिया है। ऐसा पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 10 ए के तहत किया गया है।
माल्या को एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया कि क्यों न उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया जाये या रद्द कर दिया जाये। अगर वह निर्धारित समय के भीतर जवाब देने में विफल रहते है तो यह मान लिया जाएगा कि उनके पास पेश करने के लिए कोई जवाब नहीं है और विदेश मंत्रालय निरस्तीकरण की प्रक्रिया शुरु कर देगा।
निदेशालय ने पत्र लिखकर मंत्रालय से कहा था कि वह जांच में किसी प्रकार का सहयोग नहीं दे रहे और तीन बार उनके समन को टाल चुके हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने विजय माल्या के खिलाफ ‘प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग’ अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है, जिसके तहत किसी आरोपी को अधिकतम तीन बार ही हाजिर न होने की छूट दी जा सकती है।
अब निदेशालय अदालत जाकर माल्या के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कराने पर विचार कर रहा है। ईडी ने माल्या को 18 मार्च, 2 अप्रैल और 9 अप्रैल को मुंबई ऑफिस में मौजूद रहने को समन दिया था।
लेकिन माल्या यह कहकर उसके समक्ष पेश नहीं हुए कि उनके वकील सहयोग दे रहे हैं और वे अपने कारोबार में व्यस्त हैं। माल्या का कहना है कि इस मामले में मई माह में ही ईडी के सामने पेश होंगे।
वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि ऐसा ही ललित मोदी के मामले में क्यों नहीं किया गया। अगर सरकार की मंशा सही थी तो माल्या को भागने ही क्यों दिया गया। इससे सरकार के दोहरे चरित्र पता चलता है।