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मेधा पाटकर 'नर्मदा न्याय यात्रा' पर निकलीं - Sabguru News
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मेधा पाटकर ‘नर्मदा न्याय यात्रा’ पर निकलीं

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मेधा पाटकर ‘नर्मदा न्याय यात्रा’ पर निकलीं
Medha Patkar begins four day nyay yatra seeking justice for people displaced near Sarovar dam
Medha Patkar begins four day nyay yatra seeking justice for people displaced near Sarovar dam
Medha Patkar begins four day nyay yatra seeking justice for people displaced near Sarovar dam

बड़वानी। मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटी के डूब प्रभावितों के पुनर्वास की लड़ाई लड़ रहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर की अगुवाई में ‘नर्मदा न्याय यात्रा’ निकाली जा रही है। इस यात्रा का बुधवार को दूसरा दिन है।

ज्ञात हो कि सरदार सरोवर बांध की उंचाई बढ़ाए जाने से 40 हजार परिवारों के डूब में आने का खतरा है। इन परिवारों के बेहतर पुनर्वास की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। पूर्व में मेधा ने बेमियादी उपवास किया, उस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर 16 दिन तक जेल में रखा गया। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने मंगलवार से ‘नर्मदा न्याय यात्रा’ शुरू की।

‘नर्मदा न्याय यात्रा’ के दूसरे दिन बड़वानी के राजघाट से शुरू हुई। इस यात्रा के जरिए लोगों को राज्य सरकार की ‘जनविरोधी नीतियों’ के बारे में जागरूक किया जा रहा है। साथ ही अहिंसक आंदोलनकारियों को किस तरह जेल में डाला गया और दमनात्मक कार्रवाई की गई है, इसका भी मेधा पाटकर जिक्र कर रही हैं।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार ‘नर्मदा न्याय यात्रा’ बडवानी की धान मंडी से मंगलवार को शुरू होकर बड़वानी जेल पहुंची और निर्दोषों को रिहा करने की मांग की। आंदोलनकारी हाथ में न्याय का प्रतीक तराजू और मुंह पर काली पट्टी बांधे हुए थे।

न्याय यात्रा में शामिल मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव बादल सरोज ने नेल्सन मंडेला के संघर्ष को याद किया और कहा कि 25 साल तक जेल भुगतने के बाद उन्हें जीत मिली। उन्होंने नर्मदा के सशक्त संघर्ष की सराहना की।

उन्होंने कहा की मोदी शासन के ‘जनतंत्र विरोधी कार्य’ में शिवराज सिंह की सरकार भी शामिल होकर 32 साल के आन्दोलन को दबाने की कोशिश कर रही है। इस चुनौती में महिला व बच्चों ने अनोखी ताकत दिखाई है।

आंदोलन के समर्थक नारायण जोहरी ने वर्तमान दौर में जमीन, पानी, नदी की लूट और अडाणी, अंबानी को संसाधन हस्तांतरित करना एक गंभीर समस्या बताई। सरदार सरोवर का पानी कोका-कोला या अल्ट्रा टेक सीमेंट कंपनी को देने की तैयारी का जिक्र भी किया।

मेधा पाटकर ने कहा कि आंदोलन कर रही अहिंसक शक्ति को शासन दमन करके दबाना चाहती है, जबकि हम अमन चाहते हैं। इस आंदोलन में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया। उन पर हत्या के प्रयास, अपहरण जैसे मामले दर्ज किए गए। सरकार का यह रवैया चिंताजनक है। प्रभावितों को टीन शेड में बसाया जा रहा है। यह वादे के खिलाफ है।