सबगुरु न्यूज उदयपुर। बांसवाड़ा में कुपोषण से 53 दिन में 83 बच्चों की कुपोषण से मौत के मामले में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने बांसवाड़ा कलक्टर को तीन दिन में जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। इसके लिए तीन सदस्यीय विभागीय जांच समिति भी बनाई गई है। कमेटी बांसवाड़ा के जिला अस्पताल का दौरा भी करेगी।
कुपोषण से मौतों के बाद आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बांटे जाने वाले बेबीमिक्स पोषाहार पर भी सवाल उठने लगे हैं। गौरतलब है कि बीते पखवाड़े बांसवाड़ा के घाटोल क्षेत्र की गोरछा ग्राम पंचायत अंतर्गत बड़बड़िया आंगनवाड़ी केंद्र पर बच्चों को बेबीमिक्स पोषाहार में मक्का के आटे की थैलियां भरकर थमाने का मामला भी सामने आया था।
इसकी शिकायत पर एसडीएम के आदेश पर नायब तहसीलदार घाटोल नारायण गिरि ने मुआयना भी किया था और हकीकत सामने आई थी। गांव के प्रमुख लोगों की मौजूदगी में आटा और थैलियां बरामद कर रिपोर्ट बनाई। जाहिर है यह मामला भी कुपोषण से मौतों के मामले से जुड़ा है। सरकार आंगनवाड़ी केन्द्रों पर गर्भवती और धात्री महिलाओं से लेकर नवजात शिशुओं के लिए पोषाहार प्रदान करने की योजना ही इसीलिए चला रही है ताकि कुपोषण के चलते कोई अकाल ही काल का ग्रास न बन जाए।
हालांकि, गोरछा ग्राम पंचायत में आगे की कार्रवाई का इंतजार है। वहां के ग्रामीणों के अनुसार छह माह से बच्चों को पोषाहार में मक्का का कच्चा आटा दिया जा रहा था। इसे लेकर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को टोका भी गया था। नायब तहसीलदार से एक माह पूर्व केंद्र पर मुआयने के लिए आईं महिला पर्यवेक्षक ने भी इस शिकायत पर ध्यान नहीं दिया था। तहसीलदार को केंद्र पर बच्चों की उपस्थिति और पोषाहार का स्टाॅक रजिस्टर भी नहीं मिला था।
इस बीच, पूछताछ में कार्यकर्ता पार्वती का यह बयान था कि लंबे समय से केंद्र पर पोषाहार नहीं आने से खुद पैकिंग कर आटा देना शुरू किया गया। उसने थैलियां वाडगुन की कार्यकर्ता तुलसी से खरीदना बताया।
पार्वती के बयान से भी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार वितरण की व्यवस्था पर सवाल उठ रहा है। एक ओर सरकार स्वास्थ्य पर इतना बजट दे रही है, लेकिन जहां जरूरत है वहां तक जरूरी वस्तु पहुंच ही नहीं रही है। बड़ा सवाल यह भी है कि ग्रामीणों की शिकायत को स्थानीय अधिकारी भी हलके में ले रहे हैं।