अजमेर। पशुपालकों, दुग्ध उत्पादकों को महाकुम्भ 14 नवम्बर को अजमेर के पटेल मैदान में होगा। इस अवसर पर पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों के हित में राज्य व केंद्र सरकार से अनेक मांग रखी जाएगी।
महाकुम्भ को केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री सांवरलाल जाट, राजस्थान पुरातत्व धरोहर संरक्षण एवं प्रौन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत, शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री अनिताभदेल, अजय सिंह किलक, प्रभुलाल सैनी आदि अनेक मंत्री एवं जनप्रतिनिधि शिरकत करेंगे।
इस बीच अजमेर डेयरी ने दूध उपभोक्ताओं को राहत देते हुए सरस दूध के सभी ब्रांडों के भाव में चार रुपए की कमी करते हुए उन्हें सस्ता कर दिया है। यह दरें आगामी 31 मार्च तक बनी रहने की संभावना है। अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने बताया कि डेयरी का दूध चार रुपए सस्ता करने का निर्णय डेयरी प्रबन्ध मंडल की बैठक में किया गया।
चौधरी ने बताया कि 14 नवम्बर को सुबह 11 बजे अजमेर के जवाहर रंगमंच पर डेयरी की साधारण सभा होगी। दोपहर 1 बजे से पटेल मैदान में महाकुम्भ यानी पशुपालकों की रैली आयोजित होगी।
उन्होंने बताया कि इस रैली के माध्यम से राज्य सरकार और केंद्र सरकार को पशुपालकों, दुग्ध उत्पादकों की दशा और दिशा के बारे में खुली चर्चा की जाएगी। सरकार से पशुपालकों को राहत देने उनके हित में निर्णय किए जाने की आवाज बुलंद की जाएगी। चौधरी ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में पशु पालकों के लिए चारा और पानी की भारी समस्या है।
रैली के माध्यम से सरकार से खल के निर्यात पर रोक लगाए जाने की मांग की जाएगी। राज्य सरकार से दूध का समर्थन मूल्य मांगे जाने की आवाज उठाई जाएगी। मोलासीस को कर मुक्त किए जाने, सरकार के एफसीआई के गोदामों में पड़े मानव के लिए अनुपयोगी अनाज को पशु पालकों को नि:शुल्क या रियायती दर पर पशु आहार के लिए उपलब्ध कराने की मांग की जाएगी।
चौधरी ने बताया कि वर्तमान में जबकि प्रदेश में गौर संरक्षण को लेकर जागरुकता बढ़ी है एक नई समस्या से खेती हर किसानों को दो-चार होना पड़ रहा है। इस समस्या के निस्तारण के लिए प्रदेश भर में पंचायत स्तर पर गौशालाओं के खोलने की मांग भी उठाई जाएगी।
चौधरी ने बताया कि वर्तमान में हालात यह है कि गांवों में जहां-तहां सैंकड़ों मवेशी जो अब दूधारू नहीं रहे उन्हें कत्लखाने जाने से बचा तो लिया गया किन्तु उन्हें गांवों में खुला छोड़ दिया गया है। इससे खेती हर किसानों को अब रोजड़े से खेतों की रखवाली के अलावा इन मवेशियों से भी खेतों की रखवाली में दिन भर बैठे रहना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इससे बेहतर हो कि सरकार पंचायत स्तर पर गौशालाओं की व्यवस्था करे और वहां चारा –पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित करे। चौधरी ने बताया कि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले समय में अच्छी नस्ल के पुशओं की भी भारी कमी होगी। वर्तमान में अच्छी नस्त के दूधारू पशु तैयार करने में करीब दस साल का समय लग जाता है। पूर्व में नाबार्ड के माध्यम से पशुओं की नस्ल सुधारने में जो मेहनत की गई है उस पर भी पानी फिर जाएगा।