नई दिल्ली। सोल में पिछले हफ्ते हुई बैठक में चीन के नेतृत्व में सात देशों द्वारा भारत का विरोध करने के बाद परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत को एंट्री नहीं मिली। इस पर अमरीका ने चीन को न सिर्फ खरी-खरी सुनाई है, बल्कि एक हफ्ते के बाद कहा कि वह एनएसजी समूह में भारत को शामिल कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमरीका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने कहा कि सोल में पिछले हफ्ते समूह की सालाना बैठक में उनकी सरकार भारत को सदस्य बनाने में सफल नहीं रही। हम मानते हैं कि सहमति आधारित संगठन में एक देश सहमति को तोड़ सकता है, लेकिन ऐसा करने पर उसे जवाबदेह बनाया जाना चाहिए न कि अलग- थलग किया जाना चाहिए।
शैनन ने आगे कहा कि मेरा मानना है कि हम आगे बढ़ें, भारत और अमरीका मिल बैठकर विमर्श करें कि सोल में क्या हुआ, राजनयिक प्रक्रिया पर नजर रखें जो महत्वपूर्ण है और देखें कि अगली बार सफल होने के लिए हम और क्या कर सकते हैं।
भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में ‘स्थिरता का वाहक’ बताते हुए अमेरिका के राजनीतिक मामलों के उपमंत्री टॉम शैनन ने यह भी कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन जो कर रहा है वह ‘पागलपन’ है और वह चाहता है कि हिंद महासागर में नई दिल्ली बड़ी भूमिका निभाए।
विदेश सेवा संस्थान में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि चीन के बढ़ाने पर अंकुश लगाना बड़ी चुनौती है. अमेरिका भारत के साथ काम करना चाहता है ताकि हिंद महासागर में मजबूत और व्यापक उपस्थिति दर्ज कराई जा सके।
परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में भारत को विश्वसनीय और महत्वपूर्ण शक्ति बताते हुए शैनन ने कहा कि हम इस बात पर प्रतिबद्ध हैं कि भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल हो।
हमारा मानना है कि हमने जिस तरह का काम किया है, नागरिक परमाणु समझौता, भारत ने जिस तरीके से खुद को नियंत्रण किया है, वह इसका हकदार है।
एनएसजी में भारत के प्रवेश संबंधी प्रयास पर उन्होंने कहा कि भारत को इस समूह में शामिल किया जाए, इसके लिए अमरीका लगातार काम करता रहेगा।