जयपुर। जयपुर देश का सातवां मेट्रो शहर बन गया है। गुलाबी नगरी के नाम से विश्व में प्रसिद्ध इस शहर को अब लोग मेट्रो सिटी के नाम से भी पुकारने लगे। सुबह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मेट्रो को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।
नवम्बर 2010 में अजमेर पुलिया से मेट्रो का काम शुरू किया गया था और फरवरी 2011 में केन्द्रीय मंत्री व तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस परियोजना की नींव रखी थी। साढ़े चार साल के बाद आज मेट्रो का पहला फेज बनकर तैयार हो गया, जो आमजन के लिए शुरू किया है।
पहली ट्रेन हर रोज सुबह 6:45 पर
मेट्रो ट्रेन का संचालन हर सुबह 6:45 मानसरोवर से शुरू होगा, जबकि चांदपोल से ट्रेन 7 बजे चलेगी। इसी तरह अंतिम ट्रेन दोनों स्टेशनों से रात 9 बजे रवाना होगी। प्रत्येक ट्रेन का संचालन 10 से 15 मिनट के अंतराल में होगा। प्रत्येक दिन कुल 131 फेरे मानसरोवर से चांदपोल के बीच चलाए जाएंगे। रविवार को 115 फेरे ही होंगे।
न्यूनतम 5 व अधिकतम 15 रुपए किराया
मेट्रो में सवारी के लिए यात्री को कम से कम 5 रुपए व अधिकतम 15 रुपए खर्च करने होंगे। इसके लिए हर स्टेशन पर टोकन काउंटर व टोकन वेंडिंग मशीन लगाई है। टोकन के अलावा स्मार्ट कार्ड भी मिलेंगे। कार्ड की वैधता 3 साल तक रहेगी। कार्ड बनाने लिए शुरूवात में कम से कम 100 रुपए देने होंगे, ये कार्ड प्रतिदिन सफर करने वालों के लिए लाभकारी है।
स्टेशन किराया
पहले 3 स्टेशन 5
6 स्टेशनों पर 10
सभी 9 स्टेशनों पर 15
मानसरोवर से चांदपोल तक जाने के लिए अधिकतम 27 मिनट में दूरी तय कर लेंगे।
आठ एलीवेटेड व एक अण्डरग्राउण्ड स्टेशन
9.63 किलोमीटर लम्बी इस ट्रेक पर कुल 9 स्टेशन है। मानसरोवर, न्यू आतिशमार्केट, विवेक विहार, श्याम नगर, राम नगर, सिविल लाईन्स, रेलवे जंक्शन और सिंधी कैम्प स्टेशन एलीवेटेड है जो करीब 30 फीट की ऊंचाई पर है। सर्वाधिक ऊंचा स्टेशन रामनगर स्टेशन है।
चांदपोल स्टेशन भूमिगत है। इस परियोजना पर कुल 2023 करोड़ रुपए की लागत आई है। हर स्टेशन पर चढऩे-उतरने के लिए लिफ्ट-एस्केलेटर लगाए है। सभी स्टेशनों पर 37 एस्केलेटर और 40 लिफ्ट लगाई हैं। इसके अलावा ट्रेन व स्टेशनों पर सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे, पुलिस सुरक्षा बल भी रहेगा।
इसलिए होगा आपका सुरक्षित सफर
हर ट्रेन के नीचे व पटरियों के नीचे एक सेंसर मशीन लगी है। जिसमें ट्रेनों की लोकेशन की सारी डिटेल होती है। जब कोई ट्रेन एक पटरी पर लगे सेंसर से होकर गुजरती है तो वह आगे व उसके पीछे लगे सेंसर मशीन को एक्टिवेट कर देता है।
इससे आगे से आने वाली कोई ट्रेन या पीछे आने वाली ट्रेन में ड्रायवर को सिग्नल देता है। एक ट्रेन दूसरी ट्रेन से एक ही पटरी पर अधिकतम 30 मीटर की दूर बनाए रखेगी। यदि ड्रायवर चाहेगा भी तो एक ट्रेन को दूसरी ट्रेन के पास नहीं ले जा पाएगा।
ट्रेन ऑपरेटर से यात्रियों का सीधा संपर्क
किसी भी आपात स्थिति में यात्रियों का ट्रेन ऑपरेटर यानी मेट्रो ट्रेन के ड्राइवर से सीधा संपर्क हो सकेगा। ट्रेन के हर कोच में प्रत्येक गेट के पास एक-एक स्मार्ट फोन लगाया है। फोन के साथ एक कैमरा भी लगा है, ताकि ड्राइवर बात करने वाले के चेहरे को देख सके। इनके ऑपरेट का तरीका भी ट्रेन में लिखा है।