भोपाल। प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना बदहाली से गुजर रही है। छह माह से अधिक समय से केंद्र सरकार से राशि नहीं मिलने के कारण मप्र में मनरेगा के तहत करीब 700 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान बाकी है। इससेे न सिर्फ मनरेगा के तहत विकास कार्यों की गति में रोक लग गई है, बल्कि मजदूरी और भुगतान नहीं होने के कारण मजदूरों को भी परेशान होना पड़ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, पिछले करीब छह माह से मप्र को मनरेगा के तहत मात्र 163 करोड़ रुपए की राशि की आवंटित की गई है, जबकि इस अवधि में प्रदेश में करीब 700 करोड़ रुपए के भुगतान लंबित हैं, इसके चलते न तो ग्रामीण क्षेत्रों में काम निकल पा रहा है और न ही मजदूरों को मजदूरी मिल पा रही है। बताया जाता है कि मौजूदा स्थिति में मप्र में मनरेगा के तहत एक भी काम नहीं निकल पा रहे हैं। विभाग में पूरी तरह काम ठप पड़ा हुआ है।
हालांकि, कुछ माह पहले प्रदेश सरकार ने मनरेगा के तहत विभाग को 500 करोड़ रुपए कर्ज के रूप में दिए थे। इसके पीछे सरकार का मकसद था कि केंद्र से राशि आते ही इसका समायोजन कर दिया जाएगा, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार से राशि नहीं आने के कारण यह यह स्थिति पैदा हुई है। सूत्रों की मानें तो हाल ही में केंद्र सरकार ने जो 163 करोड़ रुपए राज्य सरकार को मनरेगा के तहत भेजा है, उसे भी सरकार ने विभाग को ट्रांसफर नहीं किया है। ऐसे में विभाग में मौजूदा स्थिति में संकट गहरा गया है।
चुनाव बाद ही होंगे काम
बताया जाता है कि प्रदेश में मनरेगा के तहत इस समय सभी काम ठप पड़े हैं। केंद्र सरकार से राशि नहीं आने के कारण पंचायतों में एक भी काम नहीं हो पा रहे हैं। वहीं पिछले महीनों में कराए गए कार्यों का भुगतान भी अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में मजदूरों की हालत खस्ता है। सूत्रों की मानें तो चूंकि पंचायत चुनाव सिर पर हैं, ऐसे में अब पंचायत चुनाव के बाद ही मनरेगा के कार्यों को गति मिल सकेगी।