लखनऊ। माइग्रेन एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीज दुनिया भर में लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में भी इसकी तादाद बढ़ रही है। इसका एक बड़ा कारण है भागदौड़ की जिंदगी। यह तनाव से भरपूर है। इससे मुक्त होने के कोई उपाय हम नहीं करते हैं। बस यही वजह धीरे-धीरे माइग्रेन के रूप में बदल जाती हैं।
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स्वस्थ्यविदों का कहना है कि सामान्य स्थिति से एकदम तनाव भरे माहौल में पहुंचने सिर दर्द बढ़ता है। ब्लडप्रेशर हाई होने लगता है और जब लगातार ऐसी स्थितियां सामने आने लगें तो समझिए माइग्रेन के शिकार हो रहे हैं।
डॉ. शुभलाल शाह की मानें तो सिरदर्द से हर किसी का वास्ता है। यह ऐसा रोग है, जिसके कई कारण हो सकते हैं। कई बार तो ऐसा लगता है जैसे बेवजह सिरदर्द हो रहा है। लेकिन जब बार-बार या लगातार सिरदर्द होने लगे तो यही माइग्रेन है। आम बोलचाल में माइग्रेन को अधसिरा या अधकपारी भी कहते हैं।
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लक्षण
आम तौर पर माइग्रेन का शिकार होने पर सिर के आधे हिस्से में दर्द रहता है। आधा सिर दर्द से मुक्त होता है। जिस हिस्से में दर्द होता है, उसकी भयावह चुभन भरी होती है। पीड़ा से आदमी इतना त्रस्त होता है कि सिर क्या बाकी शरीर का होना भी भूल जाता है। उसे अकेलापन महसूस होता है।
माइग्रेन मूल रूप से तो न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें रह-रह कर सिर में एक तरफ बहुत ही चुभन भरा दर्द होता है। यह दर्द कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, जी मिचलाना, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
इसके अलावा फोटो-फोबिया यानी रोशनी से परेशानी और फोनो-फोबिया यानी शोर से मुश्किल भी आम बात है। माइग्रेन से परेशान एक तिहाई लोगों को इसकी जद में आने का एहसास पहले से ही हो जाता है। पर्याप्त नींद न लेना, भूखे पेट रहना और पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना जैसे कुछ छोटे-छोटे कारणों से भी माइग्रेन की शिकायत हो सकती है।
माइग्रेन के कारण
डॉ. राना प्रताप यादव बताते हैं कि माइग्रेन के कई कारण हो सकते हैं। कुछ स्थितियां हैं तो कुछ रोग भी दोशी हो सकते हैं। ज्यादातर लोगों को भावनात्मक वजहों से माइग्रेन की दिक्कत होती है। इसीलिए जिन लोगों को हाई या लो ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और तनाव जैसी समस्याएं होती हैं, उनके माइग्रेन से ग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
कई बार तो केवल इन्हीं कारणों से माइग्रेन हो जाता है। इसके अलावा हैंगओवर भी करण हो सकता है-यानी किसी तरह का संक्रमण और शरीर में विषैले तत्वों का जमाव। भी इसकी वजह हो सकता है।
एलर्जी के कारण भी माइग्रेन होता है। अलग-अलग लोगों में एलर्जी के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। कुछ लोगों के लिए खाने-पीने की चीजें भी एलर्जी का कारण बन जाती हैं। कुछ लोगों को दूध और उससे बनी चीजें खाने से एलर्जी होती है। कुछ के लिए साग-सब्जी, किसी को धूल से और किसी को धुएं से। इसलिए अगर रोगी को पता हो कि किन चीजों से एलर्जी है तो उनसे बचें।
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ऐसे करें बचाव
माइग्रेन किसी को भी हो सकता है। लेकिन कुछ लोगों में इसका खतरा ज्यादा होता है। बावजूद इसके थोड़ी सी सावधानी से इस बीमारी को खुद से दूर रख सकते हैं। माइग्रेन लाइलाज नहीं है। अगर माइग्रेन से परेशान हैं और कुछ सूझ नहीं रहा है तो समझिए कि ध्यान देने की जरूरत आ गई है। थोड़ी सी सावधानी माइग्रेन से मुक्ति दिला सकती है। खुद के लाइफ स्टाइल को बदलें और खान-पान में बदलाव लाएं।
क्या न खाएं
माइग्रेन होने पर डिब्बा बंद पदार्थों और जंक फूड का सेवन एकदम न करें। इससे माइग्रेन और खतरनाक होता जाएगा। चूंकि जंक फूड में मैदे की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इसे कम से कम खाएं। चूंकि इनमें ऐसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं जो माइग्रेन को बढ़ा सकते हैं।
क्या खाएं
माइग्रेन है तो नाश्ते में ताजा और सूखे फलों का सेवन करें। लंच में प्रोटीन भरपूर चीजों का इस्तेमाल करें। मसलन दूध, दही, पनीर, दालें, मांस और मछली आदि। डिनर में चोकरयुक्त रोटी, चावल या आलू जैसी स्टार्च वाली चीजों के साथ सलाद भी लें। ज्यादा मिर्च-मसाले वाली चीजों से परहेज करें।
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कैसे मिले छुटकारा
माइग्रेन की अचूक दवा है योग और ध्यान। अगर योग नहीं कर सकते हैं तो व्यायाम करें। इससे तनाव कम होगा। तनाव कम होने से डिप्रेशन दूर होगा। लेकिन योग करने वाला स्थल प्रकाश से चकाचौंध, तेज धूप, तेज गंध वाला नहीं होना चाहिए। अच्छी नींद लेना भी जरूरी है। जब भी दर्द महसूस हो तो खुद के निर्णय से कोई भी दर्दनिवारक गोली न लें। न्यूरोलाजिस्ट को इस बारे में बताएं और उसके निर्देशों का पालन करें।