नई दिल्ली। बदलती आदतें और लाइफस्टाइल के चलते हमारा ज्यादातर समय लैपटॉप और मोबाइल के साथ वक़्त बीतता है जिसके कारण समय न सोना आदत में शुमार हो चुका है। रातभर जागते रहने से नींद सबंधी दिक्कत हो सकती है। इसके कारण मनोदशा संबंधी विकार और खास तौर से डिप्रेशन का जोखिम बढ़ सकता है। अमेरिका की पीट्सबर्ग विश्वविद्यालय में किए गए शोध में कहा गया है कि रातभर जागते रहने वाले किशोर में जोखिम लेने के व्यवहार के पैदा होने तथा नशे की चपेट में आने का जोखिम रहता है।
कम सोना या पूरी नींद नहीं लेना पुटामेन के कामकाज को प्रभावित करता है। पुटामेन मस्तिष्क का वह भाग होता है जो लक्ष्य आधारित गतिविधियों व सीखने में प्रमुख भूमिका निभाता है। समय पर नींद न लेने से मष्तिष्क की ‘पुरस्कार प्रणाली’ की सक्रियता भी कम हो जाती है। इस शोध शोधकर्ताओं ने 11 से 15 साल आयु वाले प्रतिभागियों के नींद के व्यवहार का अध्ययन किया।
शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि जब प्रतिभागियों को नींद से वंचित किया गया और उन्हें ज्यादा घंटों तक रिवार्ड गेम खेलने को कहा गया तो उस दौरान पुटामेन कम प्रतिक्रियाशील रहा। जबकि बाकी की स्थितियों में कोई अंतर प्रदर्शित नहीं किया।
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