सबगुरु न्यज-सिरोही। प्रभारी मंत्री और स्थानीय विधायक ओटाराम देवासी दस सितम्बर को जाग गए। सीसीटीवी कैमरे घोटाले की जांच के लिए स्वायत्त शासन मंत्री को लिखा पत्र जिला भाजपा मीडिया प्रभारी रोहित खत्री ने जारी किया।
इस अनियमितता को अंजाम देने के लिए जो बैठक आयोजित की गई थी, उसके ठीक दस महीने बाद यह पत्र जारी हुआ है। जबकि मंत्री की इसकी जांच के लिए स्थानीय प्रशासन को 20 नवम्बर को ही पत्रकार वार्ता में जिला प्रशासन को मौखिक बोल चुके थे। जिला प्रशासन ने करीब छह महीने पहले ही यह जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी थी, जिसके आधार पर नगर परिषद के कार्यवाहक आयुक्त लालसिंह राणाव को निलंबित कर दिया था और बाद में वो स्टे लाकर फिर से नगर परिषद पर काबिज हो गए थे।
यह पत्र भी प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी और भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली पर कई सवालिया निशान छोड जाता है। इसके अलावा शक यह भी है कि प्रभारी मंत्री देवासी ने यह पत्र मात्र जनविरोध को देखते हुए लिखा है या इस पर कार्रवाई के लिए वह निरंतर फॉलोअप देंगे। वैस प्रभारीमंत्री के पूर्व आदेश-निर्देश, पत्र और विधानसभा में पूछे गए सवालों को जो हश्र हुआ है वह किसी से छिपा नहीं है। इनमें सिरोही शहर में बारिश के बाद अच्छे पानी की आवक के बाद 48 घंटे में जलापूर्ति करने, कांग्रेस शासन में खसरा संख्या 1218 की मीडिया रिपोर्टों के आधार पर पूछे गए सवाल शामिल हैं।
सबगुरु न्यूज ने 8 सितम्बर को ही प्रभारी मंत्री को जनता की अदालत में सोशल मीडिया के माध्यम से कठघरे में खड़ा करने के संबंध में समाचार प्रकाशित किया था, जिसमें सीसीटीवी कैमरे के संबंध में जांच के लिए राज्य सरकार को लिखे पत्र को सार्वजनिक किए जाने की जनता में उठ रही आवाज का जिक्र था।
निलम्बन के बाद भी रिटायरमेंट लेकर निकले राणावत
राज्य सरकार और प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी का यह पत्र अब भी उन्हें सवालों की जद से आजाद नहीं कर रहा है। उसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर लालसिंह राणावत हाईकोर्ट से स्टे ले आए थे तो उन्होंने स्टे वेकेट करवाने के लिए राज्य सरकार की ओर से किस तरह के प्रयास करने का अनुरोध किया था? जिस तरह उनकी वरदहस्त प्राप्त सभापति ताराराम माली ने गोयली चौराहे पर फिर से बन गई केबिनों के स्टे तीन दिन में वेकेट करवाकर दबंग लोगों को कथित लाभ देने के लिए उसे फिर से तुड़वा दिया था, उसी तरह का प्रयास प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी ने राज्य सरकार के माध्यम से लालसिंह राणावत के निलम्बन पर स्टे को वेकेट करने में किए गए थे क्या? और किया था तो स्टे वेकेट करवाने में कहां कमी आई?
राणवत के रिटायरमेंट के पहले उन्होंने जो पत्र राज्य सरकार को लिखे थे वह सार्वजनिक क्यों नहीं किए हैं? मंत्री देवासी को यह जवाब देना होगा कि आखिर अक्टूबर, 2014 को जब यह अनियिमितता सामने आई थी तो उन्होंने इसकी जांच के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा था क्या? जिला प्रशासन की ओर से जांच में देरी क्यों की गई? जांच रिपोर्ट जयपुर भेजी गई तो उस पर कार्रवाई में देरी क्यों हुई? उसके लिए प्रभारी मंत्री को जांच के लिए लिखा गया पत्र सार्वजनिक क्यों नहीं किया?
सरकारी जमीनें खुर्द-बुर्द होने के मामले नदारद
गोपालन एवं देवस्थान मंत्री ओटाराम देवासी की सिरेाही की जनता के प्रति निष्ठा अभी भी सवालों के घेरे में है। एक तो दस महीने बाद चहुंओर दबाव पर उन्होंने सीसीटीवी कैमरे के मामले में स्वायत्त शासन विभाग को पत्र लिखा, लेकिन अभी भी नगर परिषद में भाजपा का बोर्ड बनने के बाद जो अनियमितताएं हुई हैं उसकी जांच के लिए उन्होंने क्या किया?
यह सभी अनियमितताएं भी लालसिंह राणावत के कार्यकाल में हुई है। ऐसे में सीसीटीवी कैमरे के लिए लिखा गया पत्र कांग्रेस की पूर्व सभापति को फंसाने और आयुक्त लालसिंह राणावत और भाजपा के वर्तमान बोर्ड के दौरान सामने आई अनियमितताओं में कथित रूप से लिप्त लोगों को बचाने की ओर इशारा ज्यादा कर रही है।
जिस तरह खसरा संख्या 1218 को खुर्दबुर्द किया और इसकी उपखण्ड अधिकारी सिरोही की ओर से अब तक जांच में देरी की जा रही है यह प्रभारी मंत्री की राज्य सरकार और उनकी पार्टी की भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहिम के प्रति संजीदगी पर शक पैदा करती है।
न्यापमं पर आगे क्या?
प्रभारी मंत्री ने सीसीटीवी कैमरे के मामले राज्य सरकार को उच्च स्तरीय जांच करवाने के लिए लिखा है, लेकिन जिले में ही एक सरकारी संस्थान में कार्मिकों की नियुक्ति के घोटोले के लिए उन्होंने क्या किया। यह प्रकरण छोटे स्तर का ही सही, लेकिन मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले की तरह का ही है।
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