लखनऊ। यूपी विधानसभा का 2017 का चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों में सरगर्मी भी बढ़ती जा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने भी अपनी सरगर्मी तेज कर दी है।
12 जनवरी से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद के नेताओं ने भी विचार परिवार के संगठनों से राय-शुमारी तेज कर दी है। राजनरतिक जानकारों की मानें तो यह सब कुछ भाजपा के यूपी प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर सहमति बनाने की कवायद है। हालांकि इसे मिशन 2017 में कामयाब होने वाले अगुवा का चुनाव भी माना जा रहा है।
भाजपा की दृष्टि से 90 जिलों में बांटा गया है। भाजपा ने सोमवार की देर रात को 51 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा कर दी। ज्यादातर नए चेहरों को मौका मिला है। लेकिन अब भी 39 जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा होनी है।
यह कयास लगाया जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व अपने कदम को फूंक-फूंक कर रखना चाहता है। कहीं ऐसा न हो कि आने वाले प्रदेश अध्यक्ष को टीम तैयार करने में दिक्कतें आएं और मिशन 2017 की राह कांटों भरी हो जाए। इसलिए इन नामों के साथ प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर भी सहमति बनाने की यह पहल है।
यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने दो सह-कार्यवाह कृष्णगोपाल और दत्तात्रेय होसबोले को यूपी मिशन पर भेजा है। कृष्णगोपाल 12 जनवरी को कार्यक्रमों में शामिल होने के बहाने राजनीतिक महौल की थाह लगाएंगे तो होसबोले 14 जनवरी तक यूपी में ही डेरा डाले रहेंगे।
इनके अलावा विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष प्रवीण तोगडिय़ा भी 15 जनवरी को लखनऊ में रहेंगे। धर्म रक्षा निधि अर्पण कार्यक्रम के बहाने ये हिन्दू संगठनों के पदाधिकारियों की राय लेंगे। ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव के समय इन्हें सक्रिय करने की योजनाओं है।
भारतीय जनता पार्टी के 17 मंत्रियों के अलावा संजय जोशी का यूपी दौरा भी एक गुट की नाराजगी को दूर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। जोशी के 12 जनवरी के दौरे से भाजपा राजनीति में उन्हें सक्रिय करने की योजना को भी बल मिल रहा है।