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गांधी व नेहरू की गलती की सजा भुगत रहे पाक व बांग्लादेश के हिंदू - Sabguru News
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गांधी व नेहरू की गलती की सजा भुगत रहे पाक व बांग्लादेश के हिंदू

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गांधी व नेहरू की गलती की सजा भुगत रहे पाक व बांग्लादेश के हिंदू
mistakes of Gandhi and Nehru are serving Pakistani and Bangladeshi Hindu
mistakes of Gandhi and Nehru  are serving Pakistani and Bangladeshi Hindu
mistakes of Gandhi and Nehru are serving Pakistani and Bangladeshi Hindu

गुवाहाटी। महात्मा गांधी की भूल और पंडित जवाहर लाल नेहरू के सत्ता लोभ के कारण ही देश का विभाजन हुआ, जिसका खामियाजा आज भी पाकिस्तान व बांग्लादेश के हिंदू भुगत रहे हैं।

ये बातें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के उत्तर असम प्रांत के प्रचार प्रमुख शंकर दास ने आमने-सामने नामक एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए कही। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि देश की आजादी से लेकर अभी तक अपने राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू व मुसलमानों के बीच दूरी पैदा करने का काम किया गया। आजादी के दौरान गांधी जी की जिद और नेहरू के प्रधानमंत्री की कुर्सी हथियाने की लालच ने देश का विभाजन करवाया। इस कार्य में जिन्ना ने भी अहम भूमिक निभाई।

 

दास ने बीते कल बुधवार की शाम को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि दोनों में प्रधानमंत्री बनने की लालसा इतनी प्रबल थी कि कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था। जिसके चलते देश को बांटना पड़ा। यहां तक उस वक्त के अधिकांश अल्पसंख्यक भी जिन्ना को प्रधानमंत्री के रूप में समर्थन नहीं करते थे।  दास ने कहा कि विभाजन के बाद से आज तक पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं की बलि दी जा रही है। उन्होंने गांधी व पूर्व प्रधनमंत्री नेहरू को इस फसाद की जड़ बताया। जिसका परिणाम यह है कि हिंदू समाज आज दोनों देशों में विभिन्न प्रकार से प्रताड़ित हो रहा है।

 

पूरे देश में गौ हत्या व गौ मांस के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गाय की हत्या कोई नई बात नहीं है। लेकिन सार्वजनिक रूप से गायों की हत्या कर किसी भी जाति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कार्य नहीं जा सकता। साथ ही केवल गाय ही नहीं, बल्कि सभी जीवों की हत्या बंद होनी चाहिए। संघ के अल्पसंख्यक विरोधी छवि के बार में उन्होंने कहा कि संघ किसी जाति का विरोधी नहीं है। संघ राष्ट्रवाद के सिद्धांत पर काम करता आया है, जिसमें सभी जाति व धर्म के लोग शामिल हैं। लोग अपने फायदे के लिए संघ को बदनाम कर रहे हैं।

 

संघ नेता ने भाजपा में हस्तक्षेप के मुद्दे पर साफ शब्दों में कहा कि भाजपा का रास्ता अलग और संघ का अलग है। संघ का गठन राष्ट्रीयतावाद व सांस्कृतिक संस्कार के आधार पर हुआ, जबकि भाजपा का गठन राजनीतिक संस्कार के लिए किया गया। हिंदू बंगाली शरणार्थी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उन्हें स्वीकार करने पर असमिया भाषा पर किसी प्रकार का खतरा नहीं होगा। यहां तक कि विरोध करने वाले नेताओं के बच्चे ही असमिया भाषा से दूर होते जा रहे हैं। सड़कों पर राजनीतिक हल्ला करने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।

 

असम समझौते पर शंकर दास ने कहा कि इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है। कारण कि राज्य का विकास बेहद जरूरी है। राज्य की भावी राजनीति के बारे में उन्हेंने कहा कि अभी तक यह साफ नहीं हुआ क आने वाले दिनों में असम का राजनीतिक परिदृष्य क्या होगा। उन्होंने कहा कि संघ के सहभागी 18 संस्थाएं जो राज्यभर में समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास कर रही हैं। इसका प्रभाव ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में देखने को मिल रहा है।