नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश में वीआईपी संस्कृति खत्म करने के लिए बुधवार को घोषणा की कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों समेत देशभर के सभी गणमान्य व्यक्तियों के सरकारी वाहनों पर एक मई से लाल बत्ती नहीं लगाई जा सकेगी।
इस उद्देश्य के लिए कानून में आवश्य बदलाव किए जा रहे हैं, वहीं कांग्रेस ने फैसले को ‘हास्यास्पद’ तथा ‘प्रतीकात्मक राजनीति’ करार दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि एक मई से देश में किसी को भी आधिकारिक वाहनों पर लाल बत्ती लगाने की अनुमति नहीं होगी। इस मामले में कोई भी अपवाद नहीं होगा।
जेटली ने कहा कि यह निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री का फैसला है। उन्होंने इस बारे में मंत्रिमंडल को सूचना भर दी।
मंत्री ने कहा कि हालांकि आपातकालीन और राहत और बचाव कार्यो में शामिल वाहनों, एंबुलेंसों और दकमल गाड़ियों को नीली बत्ती लागने की इजाजत दी जाएगी।
जेटली ने कहा कि सरकार इस मामले में केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 में जरूरी बदलाव करेगी।
उन्होंने कहा कि नियम 108 वाहनों पर लाल, सफेद और नीली बत्तियों के प्रयोग को लेकर है। नियम 108-1 (तृतीय) के अनुसार केंद्र और राज्य उन गणमान्य व्यक्तियों के लिए फैसला ले सकते हैं, जो अपने सरकारी वाहनों पर बत्ती का प्रयोग कर सकते हैं। यह एक केंद्रीय नियम है और इसे किसी भी नियम की किताब से हटाया जा रहा है।
इसका अर्थ है कि अब केंद्र या राज्य में कहीं भी कोई गणमान्य व्यक्ति अपने वाहनों पर बत्ती का प्रयोग नहीं कर पाएगा।
यह पूछे जाने पर कि अपनी कार पर लाल बत्ती लगाने को लेकर राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री अपवाद होंगे, जेटली ने कहा कि कोई अपवाद नहीं होगा, जब नियम खुद नियम की किताब में ही नहीं होगा।
जेटली ने साथ ही कहा कि नियम 108 (2) के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को फ्लैशर के साथ नीली बत्ती के इस्तेमाल की इजाजत देने वाले कानून में भी बदलाव किया जा रहा है।
जेटली ने कहा कि केवल परिभाषित आपातकालीन सेवाओं को ही फ्लैशर के साथ नीली बत्ती लगाने की इजाजत होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि फैसले का उद्देश्य देश में लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि फैसले के नतीजास्वरूप होने वाले बदलावों को लेकर भी नियमों में बदलाव किए जाएंगे।
बीते कई दशकों से लाल बत्ती राजनीतिक तुष्टीकरण का औजार रही है। राज्य सरकारें सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं को लाल बत्ती बांटती रही हैं, जबकि वे किसी संवैधानिक पद पर नहीं होते।
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक के तुरंत बाद ही उनकी गाड़ी से लाल बत्ती हटा दी गई।
कांग्रेस ने इस फैसले को ‘प्रतीकात्मक राजनीति’ तथा ‘हास्यास्पद’ करार दिया। कांग्रेस प्रवक्ता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय 10 दिसंबर, 2013 के अपने आदेश में पहले ही कह चुका है कि किन वाहनों पर बत्तियां लगेंगी।
उन्होंने कहा कि अब उस फैसले के तीन साल बाद अगर भाजपा इसपर राजनीति करने और उच्च नैतिक आधार प्राप्त करने का प्रयास कर रही है, तो यह हास्यास्पद है। तिवारी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायाल के फैसले को कुछ हिस्से को पहले ही अमल में लाया जा चुका है।