नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट ने बुधवार को देश में सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी के प्रस्ताव को मंजूरी दी दी । इससे सरकार को 5.66 लाख करोड़ आने की उम्मीद है। इस बार सरकार के पास उपलब्ध जितने स्पेक्ट्रम है उसमें से अधिकांश की नीलामी हो जाएगी।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बताया कि स्पेक्ट्रम नीलामी प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है और ये सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी होगी। सरकार को 2300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम नीलामी से कम से कम 64,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।
इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न शुल्कों और सेवाओं से 98,995 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे। चालू वित्त वर्ष के दौरान ही सरकार को इससे तकरीबन 1.50 लाख करोड़ रुपये हासिल होने की उम्मीद है।
सूत्रों ने बताया कि नीलामी के लिए मुख्य दस्तावेज, आवेदन आमंत्रित करने का नोटिस संभवत: एक जुलाई को जारी किया जाएगा। माना जाता है कि इस नीलामी के बाद हर दूरसंचार कंपनी के पास वायस व डाटा सेवा देने के लिए पर्याप्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध हो जाएगा और काल ड्राप की समस्या भी खत्म होगी।
इस नीलामी से जुड़े एक अहम मसले स्पेक्ट्रम यूजेज चार्जेज (एसयूसी) की दर के मामले को एक बार फिर दूरसंचार नियामक एजेंसी ट्राई को भेज दिया गया है। ट्राई ने पहले इसके 3 फीसद रखने की सिफारिश की थी लेकिन इस पर दूरसंचार आयोग को आपत्ति थी। यह दूरसंचार कंपनियों की तरफ से अभी दिए जा रहे शुल्क से कम है।
समिति का सुझाव है कि ऊंचे फ्रीक्वेंसी बैंड एक जीएचजेड से अधिक मसलन 1800 मेगाहटर्ज, 2100 मेगाहटर्ज तथा 2300 मेगाहटर्ज में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियां 50 प्रतिशत का अग्रिम भुगतान करें और दो साल के स्थगन के बाद शेष राशि की अदायगी 10 साल में करें। पूर्व की नीलामियों में कंपनियों को 33 प्रतिशत अग्रिम भुगतान का विकल्प दिया गया था।
इसी तरह एक जीएचजेड से कम स्पेक्ट्रम मसलन 700 मेगाहटर्ज, 800 मेगाहटर्ज तथा 900 मेगाहटर्ज में कंपनियां 25 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान करें। उसके बाद दो साल की रोक के बाद शेष राशि का भुगतान 10 साल में करें। यह पूर्व की नीलामियों की तर्ज पर ही है, लेकिन ट्राई के सुझावों से भिन्न है।