नई दिल्ली। भारत में अब सभी डाकघर बैंक की तरह काम करेंगे। इसके लिए बाकायदा मोदी सरकार की कैबिनेट मीटिंग में बुधवार को बडा फैसला लिया गया और डाकघरों को बैकों का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। डाकघर अब पोस्टल पेमेंट बैंक के नाम से जाने जाएंगे। ये पोस्टल पेमेंट बैंक सितंबर 2017 से काम करना शुरू कर देंगे।
कैबिनेट ने फिलहाल पोस्ट बैंक को देश भर में 650 ब्रांच खोलने की इजाजत दी है लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। बैंक पूरी तरह से प्रोफेशनल तरीके से चलाया जाएगा। संचार मंत्रालय इसके लिए एक सीइओ व अन्य प्रोफेशनल्स की नियुक्ति करेगा।
संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह फैसला भारतीय डाक व भारतीय बैंकिंग के लिए गेमचेंजर साबित होगा। सितंबर 2017 से पेमेंट बैंक काम करना शुरू कर देगा। पोस्ट बैंक का पूंजी आधार 800 करोड़ रुपए होगा जिसमें 400 करोड़ रुपए इक्विटी के तौर पर और शेष 400 करोड़ रुपए की राशि बतौर ग्रांट उपलब्ध कराई जाएगी। यह पूरी तरह से सरकार की सौ फीसदी हिस्सेदारी वाला उपक्रम होगा।
प्रसाद ने कहा कि पहले उनके मंत्रालय ने तीन साल में पोस्ट बैंक का पूरा विस्तार करने की योजना बनाई थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस काम को एक साल के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है। संचार मंत्रालय ने इस चुनौती को स्वीकार किया है।
शुरुआत में इसकी अभी सिर्फ 650 शाखाएं होंगी लेकिन भारतीय डाक के तकरीबन डेढ़ लाख डाक घर और इसमें कार्यरत 1.7 लाख डाकिये भी इसकी सेवाओं के प्रसार में अहम भूमिका निभाएंगे। 650 शाखाओं के लिए 3500 नए कर्मचारियों की भर्ती भी होगी तथा 5000 नए एटीएम भी खोले जाएंगे।
मौजूदा डाक घरों को बैंकिंग सोल्यूशंस की तकनीक से पोस्ट बैंक से जोड़ दिया जाएगा। जिससे दूर दराज के गांव के लोगों को भी हर तरह की बैंकिंग सेवा मिलेगी। डाकियों को पोस्ट बैंक के अनुरूप प्रशिक्षित करने का काम भी शुरू हो रहा है। हर डाकिये को आई-पैड और बेहतर स्मार्ट फोन देने के सुझाव पर विचार हो रहा है।
वैसे हर पोस्टमैन को एक छोटी सी हैंड हेल्ड मशीन भी दी जाएगी जिससे वे ग्र्राहकों को घर पर ही हर तरह की बैंकिंग सेवा दे सकेंगे। पोस्ट बैंक कई तरह की सेवाएं देगा मसलन दूसरे बैंकों के लिए मासिक किस्त वसूलना, साधारण व जीवन बीमा देना, पेंशन, म्यूचुअल फंड्स आदि में निवेश की सुविधा उपलब्ध कराने का काम भी यह करेगा।