लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने मंत्रिपरिषद का दूसरा विस्तार किया। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्होंने इस विस्तार में उत्तर प्रदेश को विशेष तरजीह दी।
यहां से तीन सांसदों, डा. महेंद्र नाथ पांडेय, कृष्णा राज और अनुप्रिया पटेल को राज्यमंत्री बनाकर मोदी ने उप्र के अगड़ा, पिछड़ा और दलित यानी सभी वर्गों को साधने की कोशिश की है।
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मोदी का नारा है सबका साथ सबका विकास। मंगलवार को हुए मंत्रिपरिषद के विस्तार में मोदी ने अपने इस नारे को व्यवहारिक रूप दिया। डा. महेंद्र नाथ पांडेय को मंत्रिपरिषद में शामिल कर जहां उन्होंने अगड़ों विशेषकर ब्राह्मणों को खुश करने की कोशिश की वहीं कृष्णा राज के सहारे दलितों को उनका हितैषी होने का संदेश दिया। इसके अलावा अनुप्रिया पटेल को राज्यमंत्री बनाकर प्रदेश के पिछड़ों विशेषकर पटेलों को लुभाने का प्रयास किया गया है।
उप्र में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा यहां के सामाजिक समीकरण के अनुसार अपने सियासी समीकरण को ठीक करने में लगी है। पूर्वांचल बसपा का गढ़ रहा है। सपा भी यहां कमजोर नहीं है। ब्राह्मण और दलित गठजोड़ से बसपा यहां शक्तिशाली बनी रही है।
ऐसे में भाजपा ने ब्राह्मण नेता डा महेंद्र नाथ पाण्डेय और पिछड़ा वर्ग की नेता अपुप्रिया पटेल के जरिये बसपा और सपा को शिकस्त देने की कोशिश की गई है। डा पाण्डेय पूर्वांचल में ब्राह्मणों के बड़े चेहरा माने जाते हैं तो अनुप्रिया पटेल की पटेलों में अच्छी पकड़ है। प्रदेश में कानपुर से वाराणसी तक पटेलों की अच्छी खासी जनसंख्या है।
उधर, शाहजहांपुर से सांसद कृष्णा राज को राज्यमंत्री बनाकर भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और रूहेलखंड में उन्हें दलित चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर उनका फायदा उठा सकती है। कृष्णा राज पासी समाज की हैं। ऐसे में वह सीधे तौर पर बसपा के कोर वोट बैंक में सेंध लगा सकती हैं।
प्रो. रामशंकर कठेरिया हुए बाहर
आगरा से सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद से बाहर कर दिया है। मोदी ने अपने मंत्रिपरिषद के पहले विस्तार में नवम्बर 2014 में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री बनाया था। वह आगरा से दूसरी बार सांसद चुने गए हैं। उप्र में वह भाजपा के दलित चेहरा के रूप में जाने जाते रहे हैं।
पिछले दिनों उन्हें उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा रही है। सियासी पंडितों का कहना है कि अपने विवादित बयानों के चलते उन्हें मंत्रिपषिद से हटाया गया। माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जगह देगी। पूर्व में भी वह पार्टी संगठन में थे और दो राज्यों पंजाब व छत्तीसगढ़ के प्रभारी थे।
युवाओं को तरजीह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिषद शामिल हुए उत्तर प्रदेश के तीनों सांसद, डा महेंद्र नाथ पांडेय, कृष्णा राज और अनुप्रिया पटेल युवा हैं और पहली बार सांसद बने हैं। अनुप्रिया पटेल की उम्र 35 साल है तो कृष्णा राज 49 वर्ष की हैं और डा. महेंद्र नाथ पाण्डेय करीब 57 वर्ष के हैं।
डा. महेंद्र नाथ पाण्डेय
मूलतः गाजीपुर के रहने वाले डा. महेंद्र नाथ पाण्डेय केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पैतृक जिले चंदौली से सोलहवीं लोकसभा के सांसद हैं। वह एमए और पीएचडी हैं। छात्र जीवन में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे। डा पाण्डेय भाजपा काशी प्रान्त के अध्यक्ष भी रहे। उत्तर प्रदेश सरकार में कल्याण सिंह और राम प्रकाश गुप्ता के कार्यकाल में वह मंत्री भी रहे। कलराज मिश्र के बाद वह प्रदेश में दूसरे बड़े ब्राह्मण चेहरा के रूप में जाने जाते हैं।
कृष्णा राज
फैजाबाद में वर्ष 1967 में पैदा हुई 49 वर्षीया कृष्णा राज भाजपा की दलित चेहरा हैं। वह पासी समाज की हैं और शाहजहांपुर से पहली बार सांसद बनी हैं। इससे पहले वह लखीमपुर के मोहम्मदी से दो बार विधायक रह चुकी हैं। उनकी छवि एक बेदाग नेता के रूप में रही है। वह सामाजिक आंदोलनों से भी जुड़ी रही हैं।
अनुप्रिया पटेल
मोदी की मंत्रिपरिषद में इस समय सबसे युवा मंत्री अनुप्रिया पटेल हैं। मूलतः कानपुर की अनुप्रिया 35 वर्ष की हैं। वह मीरजापुर से अपना दल की सांसद हैं। इससे पहले वह वर्ष 2012 में वाराणसी के रोहनिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई थीं।
अनुप्रिया को राजनीति विरासत में मिली है। एमए और एमबीए की पढ़ाई के बाद वह राजनीति में आईं और पिता सोनेलाल पटेल की विरासत सभालने को वर्ष 2009 में अपना दल की राष्ट्रीय महासचिव बनीं। हालांकि पारिवारिक विवाद के चलते उनकी मां कृष्णा पटेल कहती हैं कि उन्हें 2015 में पार्टी से निकाल दिया गया। फिर भी कहा जाता है कि अनुप्रिया की कुर्मी (पटेल) वोटों पर अच्छी पकड़ है।